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जैन परम्परा में वर्षायोग का महत्त्व : 29 आचारांगसूत्र, द्वितीय श्रुतस्कन्ध, तृतीय अध्ययन, प्रथम उद्देशक, पृष्ठ नं०
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वहीं, पृष्ठ नं० १७४ अनगार धर्मामृत, प्रस्तावना, पृष्ठ नं० १९ . ततश्चतुर्दशीपूर्वरात्रे सिद्धमुनि स्तुती। चतुर्दिक्षु परीत्याल्पाश्चैत्य भक्ती गरूस्तुतिम् ।। शान्तिभक्तिं च कुर्वाणैर्वर्षायोगस्तु गृह्यताम्। ऊर्जकृष्णचतुर्दश्यां पश्चाद्रात्रौ च मुच्यताम् ॥ अनगार धर्मामृत,श्लोक ६६,६७
वही, श्लोक ७०, पृष्ठ नं० ६७६ ११. जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश, पृष्ठ नं० १३९ भाग - २ १२... मूलाचार, गाथा, ६१५ १३..वर्षायोग स्थापना विधि, पृष्ठ नं० ५ १४. चादुम्मासो य आगदो, सराक सोपान (मासिक पात्रिका), सितम्बर २०१३
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