________________
गाहा :
तीए भणियं मा सहि! रूसस, दिम्मि जेण एयम्मि ।
चित्तम्मि रई जाया तेण रई तं मए भणिया ।।२३५।। संस्कृत छाया :
तया भणितं मा सखि ! रुष्य छटे येनैतस्मिन् । चित्ते रति जर्जाता तेन रतिस्त्वं मया भणिता ।। २३५ ।। गुजराती अनुवाद :
तेणीस कह्यु- 'हे सखी! कोप न कर, आ चित्रपट जोये छते तारा चित्तमां आनंद थयो, तेथी में तने रति कही छे. हिन्दी अनुवाद :
उसने कहा हे सखी! क्रोध न कर यह चित्रपट देखकर तुम्हें हृदय में आनन्द हुआ इसलिए मैंने तुम्हें रति कहा। . गाहा :
भणियं च मए किं वा असमंजस-भासिणीहिं एयाहिं । ..... ताव य, पियंवए! कहसु एस को वा तए लिहिओ? ।। २३६।। संस्कृत छाया :
भणितं च मया किं वाऽसमञ्जसभाषिणीभिरेताभिः । तावच्च, प्रियंवदे ! कथय एष को वा त्वया लिखितः ? ।।२३६।। गुजराती अनुवाद :
त्यारे में कह्यु- हे प्रियंवदे! गमे तेम इच्छा प्रमाणे बोलनार ते मारी सखीओ बड़े शुं? पहेलातो तुं ज कहे आ चित्रपटमां कोनुं चित्र आलेखेलु
हिन्दी अनुवाद :
तब मैंने कहा, 'हे प्रियंवदे! अपनी इच्छा से बोलने वाली मेरी 'सखियों का क्या'? पहले तो बता तूंने इस चित्रपट्ट में किसका चित्र उकेरा है? गाहा :
भणियं पियंवयाए भाया मह एस मयरकेउत्ति। रुवेण जो अणंगो सूरो चाई कला-कुसलो ।।२३७।।