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संस्कृत छाया :
भणितं प्रियंवदया भ्राता ममैष मकरकेतुरिति । रूपेण योऽनङ्गः शूरस्त्यागी कलाकुशलः ।। २३७।। गुजराती अनुवाद :
प्रियंवदा बोली, आ मकरकेतु नामे मारो ध्याई छे. छप थी ते कामदेव समान छे, शूरवीर, त्यागी तथा कलाओमां कुशल छे. हिन्दी अनुवाद :
प्रियंवदा बोली, 'यह मकरकेतु नाम का मेरा भाई है।' रूप में वह कामदेव समान है। वह शूर-वीर त्यागी तथा कलाओं में कुशल है। गाहा :
कइयावि चित्तफलए कइयावि पडम्मि तस्स पडिरूवं । लिहिऊण मए अप्या विणोइओ एत्तियं कालं ।। २३८।। संस्कृत छाया :
कदाचिदपि चित्रफलके कदाचिदपि पटे तस्य प्रतिरूपम् । लिखित्वा मयाऽऽत्मा विनोदित एतावन्तं कालम् ।। २३८।। गुजराती अनुवाद :
क्यारेक पाटीया ऊपर, क्यारेक वस्त्र ऊपर तेनुं चित्र आलेखीने आटलो समय में मारा आत्मा ने विनोद कराव्यो. हिन्दी अनुवाद :
__ कभी पट के ऊपर, कभी कपड़े के ऊपर उसका चित्र बनाकर इतने समय तक मैंने मेरी आत्मा को विनोद कराया। गाहा :
संपइ पुण असमत्था सहिउँ विरहं इमस्स चलिया हं।
ता भगिणि! मुंच वच्चामि जेण पासम्मि तस्सेव ।। २३९।। संस्कृत छाया :
सम्प्रति पुनरसमर्था सोढुं विरहमस्य चलिताऽहम् । तस्माद् भगिनि ! मुञ्च व्रजामि येन पार्श्वे तस्यैव ।। २३९।।