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जाता विचक्षणाऽहं बुद्ध्या सुरगुरोः सध्क्षा ।
एकस्मिन् पदे लब्धे शेषमूहे लब्ध्या ।।१८५।। गुजराती अनुवाद :
तेम ज वार्ता, नाट्य, गीत, पत्रच्छेद, हस्तकांड (हस्तकला) वीणा, स्वर, लक्षण (शास्त्र), व्यंजन (पाकशास्त्र), व्याकरण, न्यायशास्त्र आदि मां हुं विचक्षण थई, बुद्धिमां बृहस्पति समान गणावा लागी, श्लोक ना एक पद परथी बाकी नो श्लोक लब्धि बड़े पूर्ण की शकवा समर्थ बनी। हिन्दी अनुवाद :
उसमें वार्ता, नाट्य, गीत, पत्रच्छेद, हस्तकला, वीणा, स्वर, लक्षण शास्त्र, पाकशास्त्र, व्याकरण, न्यायशास्त्र आदि में... ____ मैं विचक्षण हो गयी। बुद्धि में बृहस्पति के समान गिनी जाने लगी। श्लोक के एक पद से सम्पूर्ण श्लोक को बताने में समर्थ बन गयी। गाहा :
अंबाए तायस्स य सयलस्स य परियणस्स आणंदं । कुणमाणा संपत्ता कमसो हं जोव्वणं पढमं ।।१८६।। संस्कृत छाया :
अम्बायास्तातस्य च सकलस्य परिजनस्याऽऽनन्दम् । कुर्वन्ती सम्प्राप्ता क्रमशोऽहं यौवनं प्रथमम् ।।१८६।। गुजराती अनुवाद :
माता-पिता तथा सकल परिवार ने आनंद आपती अनुक्रमे हुं नवीन यौवन ने पामी. हिन्दी अनुवाद :
___ माता-पिता और पूरे परिवार को आनन्द देती मैं क्रम से युवा हो गयी। गाहा :
दगुण जोव्वणं मह ताओ चिंताउरो दढं जाओ। ... को अणुरूवो होही भत्ता इह मज्झ धूयाए? ।। १८७।।