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________________ संस्कृत छाया : सकलान्तःपुरप्रवरा जाता सा तस्य हृदयवल्लभा । तया सह विषयसौख्यमनुभवतः कालेन ।।१८०।। युग्मम् ।। गुजराती अनुवाद : रत्नवती राजा (नरवाहन) ना समस्त अंतःपुर मां मुख्य थइ. राजा ने अत्यंत प्रिय रवी तेनी साथे विषयसुख भोगवता केटलाक समये.. हिन्दी अनुवाद : रत्नवती नरवाहन राजा के अन्त:पुर की मुख्य रानी हो गयी। राजा को अत्यन्त प्रिय उस रानी के साथ उन्होंने बहुत समय तक सुख भोगा। गाहा : एक्कच्चिय धूया हं जाया जम्मम्मि मज्झ ताएण। सुय-जम्मण-अम्महिओ नयरम्मि महोच्छवो विहिओ ।।१८१।। संस्कृत छाया : एकैव दुहिताऽहं जाता जन्मनि मम तातेन । सुतजन्माभ्यधिको नगरे महोत्सवो विहितः ।।१८१।। गुजराती अनुवाद : हुँ एक ज पुत्री थई. पितास मारा जन्म समये पुत्र-जन्मथी पण अधिक महोत्सव नगरयां को. हिन्दी अनुवाद :___उन्हें मैं एक ही पुत्री हुई। पिता ने मेरे जन्म पर पुत्र जन्म पर जो महोत्सव होता है, उससे भी बड़ा महोत्सव किया। गाहा : सुरसुंदरि-सम-रूवा एसा इइ चिंतिऊण ताएण । सुरसुंदरित्ति नामं पइट्ठियं उचिय-समयम्मि ।।१८२।। संस्कृत छाया : सुरसुन्दरीसमरूपैषा इति. चिन्तयित्वा तातेन । सुरसुन्दरीति नाम प्रतिष्ठितमुचितसमये ।।१८२।।
SR No.525096
Book TitleSramana 2016 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2016
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size14 MB
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