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________________ गाहा :तस्स य रन्नो मित्तो कुमारभावम्मि कहवि संजाओ। वेयड्ड-कुंजरावत्त-चित्तभाणुस्स अंगरुहो ।।१७८।। संस्कृत छाया : तस्य च राज्ञो मित्रं कुमारभावे कथमपि सञ्जातः । वैतान्यकुञ्जरावर्तचित्रभानोरङ्गरुहः ।।१७८।। गुजराती अनुवाद : हवे वैताढ्य पर्वत ने विषे कुंजरावर्त नगर मां चित्रभानु ना पुबनी साथे, ते नरवाहन राजा ने कोइपण कारणे कुमारपणा मां मित्रता थइ. हिन्दी अनुवाद : वैताढ्य पर्वत के कुंजरावर्त नगर में चित्रभानु के पुत्र के साथ उस नरवाहन राजा की किसी प्रकार मित्रता हो गयी। गाहा :'नामेण भाणुवेगो तेण य पीई-थिरत्तण-निमित्तं । दिना नियया भगिणी रयणवई नाम एयस्स ।।१७९।। संस्कृत छाया :नाम्ना भानुवेगस्तेन च प्रीतिस्थिरत्वनिमित्तम् । दत्ता निजका भगिनी रलवती नाम्नी एतस्मै ।।१७९।। गुजराती अनुवाद : परस्पर प्रीतिनी स्थिरता माटे नरवाहन राजास ते भानुवेग ने पोतानी रत्नवती नामनी बहेन ने परणावी. हिन्दी अनुवाद : परस्पर प्रेम को और स्थिर बनाने के लिए नरवाहन राजा ने भानुवेग के साथ अपनी बहन रत्नवती का विवाह कर दिया। गाहा : सयलंतेउर-पवरा जाया सा तस्स हियय-वल्लहिया। तीइ सह विसय-सोक्खं अणुहवमाणस्स कालेणं ।।१८०।।
SR No.525096
Book TitleSramana 2016 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2016
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size14 MB
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