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पराकाष्ठावाळा लोको नो जेमां वास छे, हजारो श्रेष्ठिओ वड़े शोभायमान विशाल... विशाल रसातल उपर रहेली परिखा तथा किल्लाओथी सुशोभित... त्रिक अने चतुष्क थी मनोहर... पराक्रम ना गर्व थी उत्कृष्ट सेंकडो सुभटो थी व्याप्त ... तेम ज देवपुरी समान कुशाग्रपुर नाम नुं नगर छे.
हिन्दी अनुवाद :
कुशाग्रपुर नगर- पृथ्वी पर प्रकाशमान उत्तमवेग वाले घोड़ों से युक्त: उनकी खरी से उड़ते धूलकणों से व्याप्त कर दिया है आकाशमार्ग जिसने, जिसमें आकाश में पवन से उड़ते ध्वज पताकाओं से शोभित देवालय हैं, जहाँ देवालयों में बज रहे गम्भीर वाद्ययन्त्रों से दिशाएँ आपूरित हैं, जहाँ प्रत्येक दिशाओं में धनाढ्य व्यापारियों का समूह व्यापार करता है, श्रेष्ठ वणिकजनों से विभूषित, जहाँ रमणियों के नूपुर के झंकार से कान भी बहरे हो जायें, जहाँ विपरीत और मैथुन क्रीड़ा में निपुण ऐसे विलासी लोग भरे हुए हैं, पुण्य की पराकाष्ठा वाले लोगों का जिसमें वास है, जो हजारों श्रेष्ठियों से शोभित है, जो विशाल रसातल ऊपर परिखा और किलों से सुशोभित त्रिक और चतुष्क से मनोहर है, पराक्रम के गर्व से गर्वित सैकड़ों वीरों से व्याप्त देवपुरी समान कुशाग्रपुर नाम का शहर है।
गाहा :
अक्कंत-गुरु- परक्कम -अच्छंतुक्कड - पयाव - पडिवक्खो । तत्थत्थि सुविक्खाओ राया नरवाहणो नाम ।। १७७ ।।
संस्कृत छाया :
आक्रान्तगुरुपराक्रमात्यन्तोत्कटप्रतापप्रतिपक्षः ।
तत्राऽस्ति सुविख्यातो राजा नरवाहनो नामा ।। १७७ ।।
गुजराती अनुवाद :
ते कुशाग्रपुर नगरमां उत्यंत पराक्रम वड़े निर्मूल कर्या छे महाप्रतापवाळा शत्रुओ जेणे एवो सुप्रसिद्ध नरवाहन नामे राजा राज्य करे छे.
हिन्दी अनुवाद :
उस कुशाग्रपुर में सुप्रसिद्ध नरवाहन नामक राजा राज्य करते हैं जो अत्यन्त पराकम्री हैं तथा महाप्रतापी शत्रुओं को भी धराशायी कर देने वाले हैं।