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________________ गाहा : कस्स पुण एस सद्दो समुट्ठिओ एत्थ वण-निगुंजम्मि । __ इय चिंतंतो कोऊहलेण तत्तोमुहो चलिओ ।।११४।। संस्कृत छाया : कस्य पुनरेष शब्दः समुत्थितोऽत्र वननिकुञ्जे । इति चिन्तयन् कुतूहलेन ततोमुखश्चलितः ।।११४।। गुजराती अनुवाद : अरे! आ वननां निकुंजन्मां आ कोनो अवाज आव्यो! र प्रमाणे विचारता कुतूहलथी हुं ते तरफ चाल्यो. हिन्दी अनुवाद : अरे! इस बन निकुंज में यह किसकी आवाज आई? यह विचार करता हुआ कुतूहल के साथ उस तरफ चला। गाहा : ताव य दिट्ठा भू-पट्ठि-संठिया बउल-पायव-समीवे । मुच्छा-निमीलियच्छी अधरिय-सुर-सुंदरी-रूवा ।।११५।। अहिणव-जोव्वण-उन्भेय-सुंदरा सयल-मणहरावयवा । पउम-चुया इव लच्छी नर-वर! वर-बालिया एक्का ।।११६।। संस्कृत छाया: तावच्च छटा भूपृष्ठसंस्थिता बकुलपादपसमीपे । मूर्छानिमीलिताक्षी अधरितसुरसुन्दरीरूपा ।।११५।। अभिनवयौवनोद्भेद-सुन्दरा सकलमनोहरावयवा । पद्मच्युतेव लक्ष्मीः नरवर ! वरबालिकैका ।।११६।। युग्मम् गुजराती अनुवाद :. हे राजा! तेटलामां त्यां बकुल वृक्षनी पासे. भूमि पर पडेली, मूर्छा वड़े मींचाई गयेला नेत्रोवाळी, देवांगनाओना छपने पण तिरस्कार करती. अधिनव यौवन प्रगट थवाथी सुंदर, मनोहर छे जेना समस्त अवयवो तेवी, कमला उपरथी च्युत थयेली जाणे लक्ष्मी न होय तेवी सुंदर बालिका जोई।
SR No.525096
Book TitleSramana 2016 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2016
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size14 MB
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