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________________ हिन्दी अनुवाद : हे राजा! उतने में वहाँ बकुल वृक्ष के पास मूर्छा की वजह से बन्द आँखों वाली देवांगनाओं के रूप का भी तिरस्कार कर दे, ऐसे रूपवाली, नवयुवती होने से जिसके शरीर के सारे अंग सुन्दर थे, जैसे लक्ष्मी कमल के ऊपर से गिर पड़ी हों, ऐसी सुन्दर लड़की को देखा। गाहा : नूणं नह-त्थलाओ निवडतीए इमीए भूमीए । जुवईए पडिसहो समुट्ठिओ एस सहसत्ति ।।११७।। संस्कृत छाया : नूनं नमस्तलाद् निपतन्त्या अस्या भूम्याम् । युवतेः प्रतिशब्दः समुत्थित एष सहसेति ।।११७।। गुजराती अनुवाद : जरुर आकाशमाथी आ भूमि पर पडती युवतिनो आ अकस्मात् जोरदार अवाज आव्यो छे. हिन्दी अनुवाद : निश्चय ही आकाश से पृथ्वी पर गिरी इस युवती के कारण वहां जोरदार आवाज आई। गाहा : कह मन्ने एरिसस्सवि जुवई-रयणस्स एरिसाऽवत्था । विबुह-जण-सोयणिज्जा धी! विहिणो विलसियं चित्तं ।।११८।। संस्कृत छाया : कथं मन्ये ईशस्यापि युवतिरलस्य ईश्यवस्था । विबुधजनशोचनीया धिग् ! विधे-विलसितं चित्रम् ! ।।११८।। गुजराती अनुवाद : आवी दिव्यरूपवाळी श्रेष्ठ युवतिनी पंडितोने पण करुणा जगाडे तेवी अवस्था केवी रीते। खरेखर! भाग्य, चित्त विलास वाळु छे. हिन्दी अनुवाद :- . ऐसी दिव्य रूपवाली श्रेष्ठ युवती जो पंडितों में भी करुणा जगा दे, उसकी ऐसी अवस्था कैसे हुई? निश्चित ही यह भाग्य का विचित्र विलास है।
SR No.525096
Book TitleSramana 2016 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2016
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size14 MB
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