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हिन्दी अनुवाद :
किन्तु किसी बड़ी छावनी का पड़ाव है, जिसके कारण अधिक शोरगुल हो रहा है, ऐसा सोचकर सुरथ के आस-पास होने की आशंका के कारण मैं पुनः व्याकुल हो गयी। गाहा :
तत्तो कूव-पविटुं तुम्ह नरं पासिऊण सुट्ठयरं ।
भीयाइ पुच्छियाइवि न उत्तरं किंचि मे दिन्नं ।।१३।। संस्कृत छाया :
ततः कूपप्रविष्टं तव नरं दृष्ट्वा सुष्टुतरम् । । ।
भीतया पृष्टयाऽपि नोत्तरं किञ्चिद् मया दत्तम् ।।१३।। गुजराती अनुवाद :
त्यारबाद कूवामां उतरेला तमारा माणसने जोइ हुं अत्यंत भयभीत थई- मने तेणे पूछयुं पण में कोई जवाब न आप्यो. हिन्दी अनुवाद :
उसके बाद कएं में उतरे आपके आदमियों को देखकर मैं अत्यन्त भयभीत हो गयी। उन लोगों ने मुझसे पूछा भी पर मैंने कोई जवाब नहीं दिया। गाहा :
पुणरवि य तुम्ह नामं सोऊणं विगय-अन्न-आसंका ।
हरिस-भर-निम्मरंगी उत्तरिया देव! कूवाओ ।।१४।। संस्कृत छाया :
पुनरपि च तव नाम श्रुत्वा विगतान्याऽऽशङ्का । हर्षभरनिर्भराङ्गी उत्तीर्णा देव ! कूपात् ।।९४।। गुजराती अनुवाद :
फरी आपनुं नाम सांभळी मारी बीजी सुरथसंबंधी शंकाओ दूर थई गई. हर्षथी छलकायेली हुं कूवामाथी बहार नीकळी. हिन्दी अनुवाद :
फिर आपका नाम सुनकर सुरथ सम्बन्धी दूसरी सभी आशंकाएँ दूर हो गयीं। खुशी से छलकती हुई मैं कुएं से बाहर आई।