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________________ गुजराती अनुवाद : मरण समान कष्ट आव्युं छतां पण शीलनी रक्षा थइ तेथी मने खूब संतोष थयो अने पोतानी जातने कृतार्थ मानती सुरथना भयथी मुक्त बनी ! हिन्दी अनुवाद : मृत्यु के समान कष्ट आने पर भी शील की रक्षा कर सकी, इससे मुझे अधिक संतोष हुआ और अपने को धन्य मानती सुरथ के भय से मुक्त हो गयी। गाहा : गाढं छुहाभिभूया चत्तारि दिणाणि एत्थ कुवम्मि । परिचत्त-जीवियासा ठिया अहं सरण-परिहीणा । । ९१ ।। संस्कृत छाया : गाढं क्षुधाभिभूता चत्वारि दिनान्यत्र कूपे । परित्यक्तजीविताशा, स्थिताऽहं शरणपरिहीणा ।।९१ । । गुजराती अनुवाद : क्षुधाथी अत्यंत पीडायेली, जीवितनी आशाथी रहित, शरण विनानी हूं चार दिवस आ कुवामां रही । हिन्दी अनुवाद : भूख से अतिव्याकुल, जीवित रहने की आशा से रहित, बिना किसी शरण के चार दिन उस कुएं में रही । गाहा : अज्ज पुण कलयलेणं सिबिरं आवासियंति नाऊण । सुरहासंकाए पुणो समाउला नाह! संजाया । । ९२ । । संस्कृत छाया : अद्य पुनः कलकलेन शिबिरमावासितमिति ज्ञात्वा । सुरथाशङ्कया पुनः समाकुला नाथ ! सञ्जाता ।। ९२ ।। गुजराती अनुवाद : वळी आजे कोलाहल वड़े कोई छावणीनो पडाव छे, एम जाणी सुरथनी शंका वडे हे नाथ! हुं फरी आकुल-व्याकुल थई !
SR No.525096
Book TitleSramana 2016 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2016
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size14 MB
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