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जैन जगत्
महातपस्वी, संघनायक परम श्रद्धेय गुरुदेव पूज्य शास्त्रीश्री पद्म चन्द जी महाराज का देवलोक गमन
संघनायक परम श्रद्धेय पूज्य शास्त्री श्री पद्म चन्द्र जी महाराज का दिनांक २९ अप्रैल, २०१६ को ७५ वर्ष की अवस्था में सुबह ९.२३ पर शालीमार बाग, नई दिल्ली में देवलोक गमन हो गया। आप संघशास्ता, शासक प्रभावक गुरुदेव पूज्य श्री सुदर्शन लाल जी महाराज के शिष्य थे। आपका जन्म २२-९-१९४० को चांदनी चौक, दिल्ली में हुआ था। आपकी दीक्षा २ फरवरी, १९५८ को चांदनी चौक, दिल्ली में हुई तथा १३ फरवरी, २००० को जिंद, हरियाणा में आपको संघनायक पद प्रदान किया गया। आप लगभग ५८ वर्ष, २ माह, २७ दिन तक संयम पर्याय में रहे। देवलोक गमन पश्चात् आपकी अन्तिम यात्रा विशाल जनमेखला के साथ शनिवार ३० अप्रैल को प्रात: आठ बजे शालीमार बाग जैन स्थान से प्रारम्भ होकर रिचि-रिचि, लारेन्स रोड, त्रिनगर, शास्त्री नगर सराय रोहिल्ला, न्यू रोहतक रोड, फिल्मिस्तान, खरीबावली तथा चाँदनी चौक होते हुए निगम बोध घाट पर समाप्त हुई। पार्श्वनाथ विद्यापीठ इसे स्थानकवासी श्रमण संघ की अपूरणीय क्षति मानता है और पूज्यगुरुदेव को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
समाधिमरण पर राष्ट्रीय संगोष्ठी
दिनांक १८ से २० फरवरी, २०१६ तक मद्रास विश्वविद्यालय के जैन विद्या विभाग एवं दर्शन विभाग के संयुक्त तत्त्वावधान में 'भारतीय परम्परा में समाधिमरण' विषयक एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। उद्घाटन सत्र में डॉ. दिलीप धींग द्वारा रचित पुस्तक 'तीर्थतुल्य अद्भुत गौशाला' का विमोचन भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के अध्यक्ष प्रो. एस. आर. भट्ट द्वारा किया गया। इस तीन दिवसीय संगोष्ठी में कुल आठ तकनीकी सत्रों का आयोजन हुआ जिनमें शास्त्रीय,