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गाहा :
नहवाहणेण नीया जा सा मह भारिया सुदुक्खत्ता ।
तयवत्थं मं द8 विलवंती कलुण-सहेण ।।७५।। संस्कृत छाया :
नभोवाहनेन नीता या सा मम भार्या सद्धःखार्ता ।
तदवस्थं मां दृष्ट्वा विलपन्ती करुण-शब्देन ।।७५।। गुजराती अनुवाद :____ नभोवाहन बड़े जे लई जवायेल मारी पत्नी खूधज दुखी थरली जेणीय मारी ते वखतनी खराब हालत जोई ने करुण शब्द बड़े कल्पांत को हतो। हिन्दी अनुवाद :
नभोवाहन द्वारा ले जायी गयी मेरी पत्नी बहुत दुःखी हुई थी, उसने उस समय मेरी खराब हालत देखकर करुण शब्द से कल्पान्त किया था। गाहा :
भुयगोह-वेढियस्सवि न तारिसं आसि मज्झ मण दुक्खं ।
जह तीए कलुण-रोवण-विलाव-सहं सुणंतस्स ।।७६।। संस्कृत छाया :
भुजङ्गौघवेष्टितस्याऽपि न तादृशमासीद् मम मनोदुःखम् ।
यथा तस्याः करुणरुदन-विलाप-शब्दं श्रुण्वतः (स्मरतः) ।।७६।।। गुजराती अनुवाद :
सोना समुदाय थी विंटळायेला अवा मने जे दुःख न थयुं ते तेणीना करुणार्या विलापना शब्दोने याद करवाथी थयु। हिन्दी अनुवाद :
सों के समुदाय से बींधे हुए जाने पर भी उतना दु:ख नहीं होता जितना उसके करुण भरे विलाप के शब्दों को याद कर हुआ। गाहा :
सा कह चिट्ठइ संपइ जीवई व नवत्ति मज्झ साहेसु? । ओहि नाणेण तुमं जाणसि पच्चक्खमिव सव्वं ।।७७।।