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________________ गुजराती अनुवाद : जिनमत अने शास्त्रना रहस्य ने जाणनारा युवराजे दृष्टान्त, हेतु, कारण अने चीजी विविध युक्तिओं वड़े वादमां कपिलने जीती लीधो। हिन्दी अनुवाद : जिन मत और शास्त्र के रहस्य को जानने वाले युवराज ने दृष्टान्त, हेतु, कारण और दूसरी विभिन्न युक्तियों से वाद में कपिल को जीत लिया। गाहा : जुवरन्नो पडिवयणं जाहे न चएइ किंपि सो दाउं । ताहे मंति-महत्तम-सामंताईहिं उवहसिओ ।।२२।। संस्कृत छाया : युवराजस्य प्रतिवचनं यदा न शक्नोति किमपि स दातुम् । तदा मन्त्रिमहत्तम-सामन्तादिभिरूपहसितः ।।२२।। गुजराती अनुवाद : ज्यारे कपिल युवराजने कोईपण जवाब आपी न शक्यो त्यारे मंत्री सामन्त विगेरे ए तेनो उपहास कर्यो। हिन्दी अनुवाद : जब कपिल युवराज को कोई जवाब नहीं दे सका तो मंत्री, सामन्त वगैरह ने उसका उपहास किया। गाहा : जाओ. य विलक्खो सो दढं पउछो य समरकेउस्स । कह णु महा-यण-मझे एएणं परिसिओ अहयं? ।। २३।। संस्कृत छाया : जातश्च विलक्षः स दृढप्रदुष्टश्च समरकेतवे । कथन्नु महाजनमध्ये एतेन धर्षितोऽहम् ।।२३।। गुजराती अनुवाद : ते अत्यंत विलखो पड्यो अने समरकेतु प्रत्ये द्वेष धारवा लाग्यो के ते महाजन नी वच्चे मने केम नीचे पाड्यो।
SR No.525094
Book TitleSramana 2015 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2015
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size15 MB
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