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गाहा :
गच्छ विहुप्पह! खिप्पं जंबुद्दीवम्मि भरह- खेत्तम्मि । नयरे कुसग्ग- नामे धणवाहण - मुणिवर - समीवे ॥। ३ ।। संस्कृत छाया :
गच्छ विधुप्रभ! क्षिप्रं जम्बूद्वीपे भरतक्षेत्रे |
नगरे कुशाग्र- नाम्नि धनवाहनमुनिवरसमीपे । । ३ । ।
गुजराती अनुवाद :
हे विधुप्रभ! तुं जल्दीथी जंबुद्वीपमां भरतक्षेत्र ना कुशाग्र नामना नगरमां धनवान मुनि भगवंत पासे जा ।
हिन्दी अनुवाद :
विधुप्रभ! तूं शीघ्र ही जम्बूद्वीप में भरतक्षेत्र के कुशाग्र नगर में धनवाहन मुनि भगवंत के पास जा ।
गाहा :
सो पुव्व - वेरिएणं दिट्ठो झाणम्मि संठिओ तत्थ ।
तं दट्टु कुविओ सो काही अइगरुय उवसग्गं । । ४ । ।
संस्कृत छाया :
स पूर्व- वैरिणा दृष्टो ध्याने संस्थितस्तत्र ।
तं दृष्ट्वा कुपितः स करिष्यत्यतिगुरुकोपसर्गम् ॥ ४ ॥ ।
गुजराती अनुवाद :
तेणे पूर्वभवना वैरीने जाण्यो छे के ते ध्यानमां बेठी छे । तेमने जोई गुस्से खूब मोटा उपसर्ग करथे । ते
हिन्दी अनुवाद :
उसने पूर्वभव के वैरी को जान लिया है कि वह ध्यान में बैठा है। उसे देखकर क्रोधित होकर वह बड़ा उपसर्ग करेगा।
गाहा :
ता तस्स रक्खणट्ठा सिग्धं वच्चाहि तम्मि नयरम्मि । अहमवि इंदोणत्तिं समाणिउं आगमिस्सामि । । ५ । ।