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________________ गुजराती अनुवाद : ते वखते पलीपतिओ मने कहयुं हतुं ने में जवाब आप्यो हतो के वळती वखते हुँ आवीश तो हवे मारे तेना संतोष खातर जवू जोइस। हिन्दी अनुवाद : उस समय पल्लीपति ने मुझसे कहा था और मैंने जवाब भी दिया था कि लौटते समय मैं आऊँगा। तो मुझे उनके संतोष के लिए वहाँ जाना चाहिए। गाहा : आसन्ना सा वट्टइ पल्ली ता सिग्धमेव गच्छामि । दठूण सुप्पइट्ठ पुणरवि इहमागमिस्सामि ।।२०१।। संस्कृत छाया : आसन्ना सा वर्तते पल्ली तस्मात् शीघ्रमेव गच्छामि । दृष्ट्वा सुप्रतिष्ठं पुनरपि इहाऽऽगमिष्यामि ।।२०१।। गुजराती अनुवाद : वळी ते पल्ली अहीं नजीक मां ज छे तेथी हुं हमणा ज जऊ अने सुप्रतिष्ठ ने मळी ने पाछो आवी जईश। हिन्दी अनुवाद : वह पल्ली यहाँ से नजदीक में है। मैं अभी वहाँ जाता हूँ और सुप्रतिष्ठ को मिलकर वापस आ जाऊँगा। गाहा : इय चिंतिऊण कइवय-पुरिस जुओ वेसरीए आरूढो । संपत्तो अह पेच्छइ सीह-गुहं सव्वओ दळं ।। २०२।। अविय। संस्कृत छाया : इति चिन्तयित्वा कतिपय-पुरुषयुक्तो वेसर्यामारूढ़ः । सम्प्राप्तोऽथ प्रेक्षते सिंहगुहां सर्वतः दग्धाम् ।।२०२।। गुजराती अनुवाद : आम विचाटीने थोडा पुरुषोनी साथे हु वेसी ऊपर बेसी ने सिंह गुफा पासे आव्यो त्यारे सिंह गुफा ने चारे बाजुथी बळेली जोई। हिन्दी अनुवाद : ऐसा विचार कर थोड़े लोगों के साथ वेसरी पर बैठ कर सिंह गुफा के पास धनदेव पहुंचे तब उन्होंने देखा कि सिंह गुफा चारो ओर से जली हुई है।
SR No.525094
Book TitleSramana 2015 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2015
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size15 MB
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