________________
संस्कृत छाया :
पूर्वोदिष्ट-क्रमेण धनदेवो गुरुकसार्थ-परिवरितः ।
चलितो निजनगरे कुशाप्रनगरात् शुभ-दिवसे ।।१९८।। गुजराती अनुवाद :
पूर्व मां कहेला क्रम थी मोटा सार्थनी साथे धनदेव सारा दिवसे कुशाय नगर थी पोताने गाम जवा नीकल्यो. हिन्दी अनुवाद :
पूर्व में कहे गए क्रम से विशाल सार्थ के साथ धनदेव शुभदिन में कुशाग्रनगर से अपने गाँव के लिए निकला। गाहा :
अह कमसो संपत्तो सीह-गुहासन्न-भू-पएसम्मि ।
आवासियम्मि सत्ये धणदेवो चिंतए एवं ।।१९९।। संस्कृत छाया :
अथ क्रमशः सम्प्राप्तः सिंहगुहासन्न- भूप्रदेशे ।
आवासिते सार्थे धनदेवचिन्तयत्येवम् ।। १९९।। गुजराती अनुवाद :
· क्रम थी सिंह गुफानी नजीकनां प्रदेश मां सार्थ ज्यारे रोकायो त्यारे धनदेवे विचार्यु के.. हिन्दी अनुवाद :
क्रम से सिंह गुफा के नजदीक प्रदेश में जब सार्थ रूका तब धनदेव ने विचार किया कि... गाहा :
तइया पल्ली-वइणा भणिओ उ अहं अवस्समेंतेण ।
आगंतव्वं तुमए मह बिह-हेटति ता इहिं ।। २००।। संस्कृत छाया :
तदा पल्लीपतिना भणितस्तु अहमवश्यमायता। आगन्तव्यं त्वया मम धृतिहेतुमिति तस्मादिदानीम् ।।२०।।