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________________ गाहा: धणदेव! तओ अम्हं संपइ तुट्टा ओ जीवियव्वासा । अइवल्लह-भगिणीए तेणम्ह सोगाउला धणियं ।। १८७।। संस्कृत छाया : धनदेव! ततोऽस्माकं सम्प्रति त्रुटिता ओ! जीवितव्याशा । अतिवल्लभभगिन्यास्तेन वयं शोकाकुलाऽतिशयेन (बाढम्) ।।१८७।। गुजराती अनुवाद : हे धनदेव! मारी अत्यन्त प्रिय बहेन ने जीववानी आशा नथी रही तेथी अन्मे बहुदुःखी छीस। हिन्दी अनुवाद : हे धनदेव! मेरी अत्यन्त प्रिय बहन के जीने की आशा नहीं रही। इसलिए हम बहुत दु:खी हैं। गाहा : इय सो धणदेवो सहरिस-चित्तो समुल्लवइ एवं । मा कुण सोयं सुंदर! न होइ अलियं तयं वयणं ।।१८८।। संस्कृत छाया : इति श्रुत्वा धनदेवः सहर्षचित्तः समुल्लपत्येवम् । मा कुरु शोकं सुन्दर! न भवत्यलीकं तद् वचनम् ।।१८८।। गुजराती अनुवाद : आ सांभळी ने धनदेवे हर्षपूर्वक कडं हे सुंदर! तुं शोक न कर केमके ते वचन जूढुं न पड़े। हिन्दी अनुवाद : यह सुनकर धनदेव ने हर्षपूर्वक कहा, हे सुन्दर! तूं शोक न कर क्योंकि वह वचन झूठा नहीं होगा। गाहा : दे! पिच्छामो ताव य तुह भगिणिं, तेण एवमुल्लविए । नीओ तीए समीवे धणदेवो भणइ निय-पुरिसं ।।१८९।।
SR No.525094
Book TitleSramana 2015 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2015
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size15 MB
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