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________________ हिन्दी अनुवाद : इस प्रकार जब सभी प्रकार से प्रयास करने पर किसी भी प्रकार जहर की वेदना दूर नहीं हुई तबगाहा : तत्तो तीए विसन्नो सव्वोवि हु परियणो पिया भाया । चिंतेति य किं होही अलियं नेमित्तियाइडं? ।।१८०।। संस्कृत छाया : ततस्तस्या विषण्णः सवोऽपि खलु परिजनः पिता भ्राता । चिन्तयन्ति च किं भविष्यत्यलीकं नैमित्तिकाऽऽदिष्टम् ।।१८।। गुजराती अनुवाद : तेणीनो आखो परिवार पिता, भाई विचारवा लाग्या के शुं निमित्तिया नु कहेलुं खोटु पड़ो? हिन्दी अनुवाद : उसका पूरा परिवार पिता, भाई विचारने लगे कि क्या ज्योतिषी का कहा हुआ झूठा हो जायेगा? गाहा : पुणरवि य तम्मि नयर डिडिम-सहेण सव्व-गारुडिया । वाहरिया न य केणवि उडविया सप्प-दट्ठा सा ।।१८१।। संस्कृत छाया : पुनरपि च तस्मिन्नगरे डिण्डिमशब्देन सर्व-गारुडिकाः । व्याहृता न केनाऽप्युत्थापिता सर्पदष्टा सा ।।१८१।। गुजराती अनुवाद : फरीथी ओ नगर मां ढंढेरा बड़े बधा गाइडिको ने बोलाववा मां आव्या तो पण श्रीकान्ता ऊभी थई नहीं। हिन्दी अनुवाद : फिर से नगर के सभी गारुडिको को बुलाया गया तो भी श्रीकान्ता उठकर ठीक नहीं हो सकी।
SR No.525094
Book TitleSramana 2015 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2015
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size15 MB
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