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गाहा :
मीलिय लोयण-जुयलं नीसाहारा असत्ति धरणीए ।
विहलंधला निवडिया जणणीए पेच्छमाणीए ।।१७३।। संस्कृत छाया :
मीलित-लोचनयुगलं निःसाधारात् धसिति धरण्याम् ।
विहवलाङ्गी निपतिता जनन्यां प्रेक्षमाणायां ।।१७३।। गुजराती अनुवाद :___ आँख बिडाई जवाथी आधार बगरनी ते विह्वल थयेली मानी सामे धरती पर पडी। हिन्दी अनुवाद :
जहर के प्रभाव के कारपा दोनों आँखें बन्द हो जाने से दुःख से विह्वल हुई वह जैसे किसी बिना आधार के वह धरती पर गिर पड़ी। गाहा :
तं दटुं सिरिमइणा सागर-सेट्ठी तहेव सिरिदत्तो ।
तह सयल-परियणो सो सहसत्ति समाउलीभूओ ।।१७४।। संस्कृत छाया :
तां दृष्ट्वा श्रीमत्या (श्रीमती) सागरश्रेष्ठी तथैव श्रीदत्तः ।
तथा सकलपरिजनः स सहसेति समाकुलीभूतः ।।१७४।। गुजराती अनुवाद :
तेणीने जोई ने श्रीमती सागर शेठ श्रीदत्त अने बीजा परिजनोने बोलाव्या जे बधा आकुळ व्याकुळ थया। हिन्दी अनुवाद :
उसे देखकर श्रीदत्त की पत्नी ने सागर शेठ और दूसरे परिजनों को बुलाया. वे सभी यह देखकर आकुला-व्याकुल हो गए। गाहा :
ताहे बहु-गारुडिया हक्कारिज्जंति मंत-तंत-विऊ । कीरंति मंत-जावा तह वट्टिज्जंती मूलीओ।।१७५।।