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________________ जैनाचार्यों द्वारा संस्कृत में प्रणीत आयुर्वेद-साहित्य : 53 १८. इसका प्रकाशन सोलापुर से सेठ गोविन्द जी रावजी दोशी ने सन् १९४० में किया है। इसमें मूल संस्कृत पाठ के अतिरिक्त हिन्दी अनुवाद भी प्रकाशित है। १९. जैन आयुर्वेद का इतिहास, पूर्वोक्त, पृ० ५३-७१ २०. वही, पृ० ८७-८८ २१. वहीं २२. आचार्यरत्न श्री देशभूषण जी महाराज अभिनन्दन ग्रन्थ, पूर्वोक्त, पृ० १८१ २३. वही, पृ० १८२ २४. वही, पृ० ९२ २५. जैन आयुर्वेद का इतिहास, पूर्वोक्त, पृ० ९४-९५ २६. पं० चैनसुख दास स्मृतिग्रन्थ, पृ० २७९-८१ २७. जैन जगत्, नवम्बर १९७५, पृ० ५१ २८. आयुर्वेद का वैज्ञानिक इतिहास, आचार्य प्रियव्रत शर्मा, पृ० ३६० २९. जैन आयुर्वेद का इतिहास, पूर्वोक्त, पृ० १००-०२ ३०. वही, पृ० १०४ ३१. वही, पृ० १०५ ३२. वही, पृ० १०६ वही, पृ० १०७-०८ ३४. वही, पृ० १०७ ३५. वही, पृ० ११३ ३६. जैन जगत्, नवम्बर, १९७५, पृ० ५२ ।। ३८. जैन आयुर्वेद का इतिहास, पूर्वोक्त, पृ० १२३ ३९. वही, पृ० ८९ ४०. वहीं, पृ० १७४ *****
SR No.525093
Book TitleSramana 2015 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2015
Total Pages114
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size13 MB
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