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________________ संस्कृत छाया अपरापरशबरगणं पृच्छतां सुदूरप्राप्तानाम् । अथाऽन्यदिने कथितं कार्पटिकनरेणैकेन ।। १२८ ।। गुजराती अनुवाद १२८. परस्पर भीलना समुदायने पूछतां पूछतां दूर पहोंची गयेला अमने कोई दिवसे एक कार्पेटक नरे कां... हिन्दी अनुवाद आपस में भील लोगों से पूछते-पूछते हम काफी दूर निकल गये तभी एक दिन एक कार्पटिक हमें मिला। उसने हमें बताया गाहा तत्तो सत्तम-1 -दिवसे पउमोयर- नामए सर - वरम्मि । गयणाउ निवडमाणो महिला संहिओ करी दिट्ठो ।। १२९ । । संस्कृत छाया ततः सप्तमदिवसे पद्मोदरनाम्नि सरोवरे । गगनाद् निपतन्महिलासहितः करी दृष्टः ।। १२९ ।। गुजराती अनुवाद १२९. 'सात दिवस पहेलां पद्मोदर नामना सरोवरमां आकाशमांथी पड़ता स्त्री सहित हाथीने जोयो हतो. हिन्दी अनुवाद हमने सात दिन पहले पद्मोदर नामक तालाब में आकाश से गिरते हुए एक स्त्री और हाथी को देखा था। गाहा तत्तो भय-भीएणं दूर - ट्ठिय-गुविल- तरु पविद्वेण । नारी - रहिओ पुणरवि पलोइओ तत्थ हत्थित्ति ।। १३० ।। वियरंतो सर - तीरे, इय तस्स ओ वयणयं सुणेऊण । भणियं दंससु भद्दय! तं सिग्घं सर- वरं अम्ह । । १३१ ।। संस्कृत छाया ततो भयभीतेन दूरस्थितगुपिलतरुप्रविष्टेन । नारीरहितः पुनरपि प्रलोकितस्तत्र हस्तीति ।। १३० ।।
SR No.525092
Book TitleSramana 2015 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2015
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size15 MB
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