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________________ हिन्दी अनुवाद इससे हे राजन्! ऐसा लगता है कि महारानी के गर्भ में वह विधुप्रभ देव उत्पन्न हुआ है क्योंकि केवलज्ञानी का वचन वृथा नहीं जाता। गाहा पुव्व-विरुद्ध-सुरेणं हरिओ खयरस्स वडिओ गेहे। साहिय-बहुविह-विज्जो मिलिही सो नियय-जणणीए ।।७८।। संस्कृत छाया पूर्वविरुद्धसुरेण हतः खचरस्य वर्धितो गेहे । साधितबहुविधविद्यो मिलिष्यति स निजकजनन्याः ।। ७८ ।। गुजराती अनुवाद 6८. पूर्वना वैरी देववड़े अपहरण करायेलो विद्याधरनां आवासमां वधेलो, साधेली घणी-विद्यावालो ते पोतानी माताने मलशे. हिन्दी अनुवाद पूर्वजन्म के वैरी देव द्वारा अपहरण किया हुआ तथा विद्याधर आवास में पला-बढ़ा तथा अनेक विद्याओं का साधक वह अपनी माता से मिलेगा। इच्छिय-कन्नादाणं मालाए पूयणंपि मन्ना सि । एसो नरिंद! सुविणय-परमत्यो फुरइ मह हियए ।।७९।। संस्कृत छाया इच्छितकन्यादानं मालाया पूजनमपि मन्ये । एष नरेन्द्र ! स्वप्नपरमार्थस्स्फुरति मम हृदये ।। ७९ ।। गुजराती अनुवाद १. हे नरेन्द्र! इच्छित कन्यादान- माला वड़े पूजन शयुं सन्म हुं मानुं छु आ प्रमाणे स्वप्न मारा हृदयमा स्फुरे छे. हिन्दी अनुवाद . हे नरेन्द्र! इच्छित कन्यादान का माला द्वारा पूजन हुआ, ऐसा मैं मानता हूँ और इस प्रकार स्वप्न हमारे हृदय में स्फुरित हो रहे हैं।
SR No.525092
Book TitleSramana 2015 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2015
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size15 MB
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