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________________ हिन्दी अनुवाद जंगल में भीलपति ने जिस प्रकार सर्प दंश का उपचार मणि के प्रभाव से किया, जिस प्रकार अपने चरित्र में देव के आगमन को बताया और देव कुशाग्रनगर में केवलज्ञानी को देखकर हाल-चाल पूछा... केवली भगवन्त ने उन्हें बताया कि भद्र, 'तूं अमरकेतु राजा का पुत्र होगा तथा पूर्वजन्म में वैरीदेव द्वारा मां के साथ अपहृत हे चित्रवेग ? तूं विद्याधर राजा के घर में बड़ा होगा। गाहा एमाइ पुव्व- उत्तं सवित्थरं साहियं नर- वइस्स । धणदेवेणं जाव य संपत्तो हत्थिणपुरम्मि ।।७६।। संस्कृत छाया एवमादि पूर्वोक्तं सविस्तरं कथितं नरपतेः I धनदेवेन यावच्च सम्प्राप्तो हस्तिनापुरे ।। ७६ ।। गुजराती अनुवाद ७६. धनदेवे हस्तिनापुरमां आव्यो त्यांसुधीनो पूर्वोक्त वृत्तांत आ प्रमाणे विस्तारपूर्वक राजाने कह्यो. हिन्दी अनुवाद धनदेव ने खुद के हस्तिनापुर में आने तक का समस्त वृत्तान्त इस प्रकार राजा को कहा। गाहा ता देव! देवि - उदरे विहुप्पहो सो सुरो समुप्पन्नो । होही, जओ न केवलि-वयणं इह अन्नहा होइ ।। ७७ ।। संस्कृत छाया तस्मात् देव ! देव्युदरे विधुप्रभः स सुरः समुत्पन्नः । भविष्यति, यतो न केवलिवचनमिहाऽन्यथा भवति ।। ७७ ।। गुजराती अनुवाद ७७. तेथी हे राजन् ! महाराणीनी कुक्षिमां ते विद्युत्प्रभदेव उत्पन्न थयो हरी. कारण के केवलज्ञानीनुं वचन अन्यथा यतुं नथी ।
SR No.525092
Book TitleSramana 2015 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2015
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size15 MB
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