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________________ "विशेषावश्यकभाष्य' में ज्ञान के सम्बन्ध में 'जाणइ' एवं 'पासइ' ... : 37 जानता है, सामान्य अर्थोपयोग की अपेक्षा से देखता है।२८ लेकिन भाष्यकार ने इसका निषेध गाथा ८१५ में इस प्रकार किया है, सो य किर अचक्खुद्दसणेण पासइ जहा सुयन्नाणी। जुत्तं सुए परोक्खे, न उ पच्चक्खे मणोनाणे। ८१५॥ मनःपर्यवज्ञानी अवधिदर्शन से देखता है : कुछेक आचार्यों का ऐसा मानना है कि मनःपर्यवज्ञानी मन:पर्यवज्ञान से जानता है और अवधिदर्शन से देखता है। लेकिन यह उचित प्रतीत नहीं होता है, क्योंकि मनःपर्यवज्ञानी के अवधिदर्शन होता है या मन:पर्यवज्ञानी के नियम से अवधिज्ञान और अवधिदर्शन होता है, ऐसा उल्लेख आगमों में कहीं भी प्राप्त नहीं होता है। इसके विपरीत आगमों में उल्लेख प्राप्त होता है कि जीवों में अवधिज्ञान के बिना मति, श्रुत और मन:पर्यवज्ञान ये तीन ज्ञान भी हो सकते हैं। जैसे कि "हे भगवन् ! मन:पर्यवज्ञान लब्धि वाले जीव ज्ञानी होते हैं कि अज्ञानी? हे गौतम! वे ज्ञानी होते हैं, अज्ञानी नहीं होते हैं। उनमें से कुछेक तीन ज्ञान वाले होते हैं, तो कुछेक चार ज्ञान वाले होते हैं। जो तीन ज्ञान वाले होते हैं, उनके मति, श्रुत और मन:पर्यवज्ञान होते हैं और जो चार ज्ञान वाले होते हैं, उनके मति, श्रुत, अवधि और मन:पर्यवज्ञान होते हैं।२९ इस प्रमाण से मन:पर्यवज्ञानी के अवधिज्ञान और अवधिदर्शन नहीं है। इसलिए जो ऐसा कहते हैं कि मन:पर्यवज्ञानी अवधिदर्शन से देखता है, उनका कथन उचित नहीं है। प्रश्न - यदि ऐसा मानना अयुक्त है तो उसकी जगह मन:पर्यवज्ञान का भी दर्शन मान लिया जाए, तब मनःपर्यवदर्शन से ही मनःपर्यवज्ञानी देखता है, ऐसा समाधान मिल जायेगा। उत्तर - चक्षु आदि चार प्रकार के दर्शन के अलावा पांचवाँ मन:पर्यवदर्शन आगमों में निरूपित नहीं हैं। आगम में कहा है कि “कइविहे णं भंते ! दंसणे पण्णते? गोयमा ! चउव्विहे, तं जहा चक्खुदंसणे, अचक्खुदंसणे, ओहिदंसणे, केवलदंसणे"३० अर्थात् हे भगवन् कितने प्रकार के दर्शन कहे गये हैं? हे गौतम! चार प्रकार के दर्शन कहे गये हैं- चक्षु, अचक्षु, अवधि और केवल दर्शन।” इस प्रकार से मन:पर्यवज्ञान के दर्शन का अभाव होने से मनःपर्यवज्ञानी मन:पर्यवदर्शन से देखता है, ऐसा कहना भी उचित नहीं है।
SR No.525091
Book TitleSramana 2015 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2015
Total Pages118
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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