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________________ "विशेषावश्यकभाष्य' में ज्ञान के सम्बन्ध में 'जाणइ' एवं 'पासइ' ... : 35 उत्तर - नहीं, क्योंकि मन:पर्यवज्ञान ही होता है, दर्शन नहीं होता, क्योंकि छद्मस्थ जीवों का उपयोग तथा स्वभाव मन की पर्यायों की विशेषताओं को जानने की ओर ही लगता है, मन की पर्यायों के अस्तित्व मात्र को जानने की ओर नहीं लगता। अतएव मनःपर्यवज्ञान ही होता है, दर्शन नहीं होता। क्योंकि मन:पर्यवज्ञान विशिष्ट क्षयोपशम के कारण उत्पन्न होता है। इसलिए वस्तु के विशेष स्वरूप को जानता है, सामान्य स्वरूप को नहीं। अत: यह ज्ञानरूप ही होता है, दर्शन रूप नहीं। यह भाष्यकार जिनभद्रगणि और टीकाकार मलधारी हेमचन्द्र का मत है।२५ साथ ही भाष्यकार ने 'विशेषावश्यकभाष्य' में इस सम्बन्ध में बिना नामोल्लेख के कुछ आचार्यों के मत दिये हैं और उनका खण्डन भी किया है, जो निम्न प्रकार है१. मनःपर्यवज्ञानी अचक्षुदर्शन से देखता है : प्रश्न - 'विशेषावश्यकभाष्य' गाथा ८१४ में ‘दव्वमणोपज्जाए जाणइ पासई' में 'पासई' शब्द दिया है, अत: मन:पर्यवज्ञान का दर्शन कहने में क्या बाधा है? उत्तर - कुछ आचार्यों के मत से श्रुतज्ञानी भी अचक्षुदर्शन से देखते हैं। इसका उल्लेख 'विशेषावश्यकभाष्य' की गाथा ५५३ में किया गया है कि “उपयोग युक्त श्रुतज्ञानी सभी द्रव्यादि को अचक्षुदर्शन से देखते हैं।" (भाष्यकार ने गाथा ५५४ में इस मत का खण्डन किया है।२६) इसी प्रकार मन:पर्यवज्ञानी भी अचक्षुदर्शन से देखता है। जैसे कि घट-पटादि अर्थ का चिंतन करने वाले व्यक्ति के मनोद्रव्य को मनःपर्यवज्ञानी प्रत्यक्ष से जानता है और उसी द्रव्य को मन से (मन सम्बन्धी) अचक्षुदर्शन से विचार करता है। इसलिए मनःपर्यवज्ञानी, मन:पर्यवज्ञान से जानता है और अचक्षुदर्शन से देखता है। इसी अपेक्षा से देखता है, ऐसा कहा है। प्रश्न - मतिज्ञान और श्रुतज्ञान परोक्ष ज्ञान हैं। इसीलिए श्रुतज्ञानी परोक्ष से पदार्थ को जानता है। इसी प्रकार अचक्षुदर्शन भी मतिज्ञान का भेद होने से परोक्ष से ही पदार्थ को जानता है। श्रुतज्ञान के विषयभूत मेरुपर्वत-देवलोक आदि परोक्ष पदार्थों में अचक्षुदर्शन होता है। अतः अचक्षुदर्शन के भी श्रुतज्ञान का आलम्बन होने से दोनों समान विषय
SR No.525091
Book TitleSramana 2015 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2015
Total Pages118
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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