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________________ 'श्रमण परम्परा, अहिंसा एवं शान्ति : 61 प्रो० दूबे ने प्रवृत्तिमार्गी एवं निवृत्तिमार्गी दो प्रकार की परम्पराओं का उल्लेख करते हुए ब्राह्मण परम्परा को प्रवृत्तिमार्गी तथा श्रमण परम्परा को निवृत्तिमार्गी बताया। उन्होंने बताया कि प्रवृत्तिमार्गी परम्परा पूर्णतया अहिंसक नहीं है जबकि निवृत्तिमार्गी परम्परा में अहिंसा का चरमोत्कर्ष प्राप्त होता है। प्रो० दूबे ने कहा कि गृही जीवन से सामंजस्य स्थापित करने के क्रम में श्रमण परम्परा में भी शिथिलता आयी है। विपन्नता एवं असमानता संघर्ष एवं अशान्ति का कारण है । उन्होंने जैन दृष्टि से अहिंसा का विवेचन करते हुए संकल्पजा, विरोधजा, उद्योगजा एवं आरम्भजा हिंसा के चतुर्विध रूपों के वर्णन के साथ त्रियोग एवं त्रिकरण रूप नवकोटिक हिंसा एवं अहिंसा का विशद् विवेचन किया और संकल्पजा हिंसा को सर्वाधिक निन्दनीय बताया। 12. बौद्ध न्याय : यह व्याख्यान प्रो0 अभिमन्यु सिंह, दर्शन एवं धर्म विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी द्वारा दिया गया। उन्होंने कहा कि ज्ञान में ही मानव की स्वतंत्रता निहित है । सामाजिक समस्याओं के समाधान T हेतु ज्ञान सर्वाधिक आकर्षक माध्यम है। अनुभव एवं बुद्धि ज्ञान के दो स्रोत हैं। अनुभव का निषेध नहीं किया जा सकता क्योंकि इसके निषेध का आधार भी अनुभव ही होता है। अनुभव के बिना कोई वैचारिक संरचना संभव नहीं है । बुद्धि को भी अनुभव की आवश्यकता होती है। प्रो० सिंह ने दार्शनिक मतभेदों के सम्बन्ध में कहा कि ये मतभेद ज्ञानमीमांसीय नहीं अपितु तत्त्वमीमांसीय होते हैं। ज्ञानमीमांसा तत्त्व-मीमांसा से बद्ध होता है और मतभेद तत्त्वमीमांसा के स्तर पर होता है। उन्होंने बौद्ध दर्शन में प्रत्यक्ष और अनुमान द्विविध प्रमाण बताया। इस संदर्भ में स्वलक्षण एवं सामान्य लक्षण का विवेचन करते हुए स्वलक्षण को प्रत्यक्ष का तथा सामान्य लक्षण को अनुमान का विषय बताया। उन्होंने स्वलक्षण को बौद्ध दर्शन का एकमात्र प्रमाण बताते हुए अनुमान को केवल व्यवहार के लिए आवश्यक बताया। उन्होंने प्रमाण विवेचन के क्रम में दिङ्नाग, धर्मकीर्ति इत्यादि दार्शनिकों के विचारों का विशद् विवेचन किया ।
SR No.525089
Book TitleSramana 2014 07 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokkumar Singh, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2014
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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