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________________ ... 11 तत्त्वार्थश्लोकवार्तिक में सामान्य, विशेष सामान्य-विशेषात्मक स्वीकार किया गया है। विशेष के कारण एक वस्तु का दूसरी वस्तु से भेद सिद्ध होता है। एक अन्य अपेक्षा से पर्याय को जैनदर्शन में विशेष एवं द्रव्य को सामान्य स्वीकार किया गया है। इसीलिए जब वस्तु को द्रव्यपर्यायात्मक कहते हैं तो एक प्रकार से वह सामान्यविशेषात्मक ही होती है। वैशेषिक दर्शन में यह विशेष भी अमूर्त स्वीकार किया गया हैं । जैनदार्शनिक इस विशेष को भी कथंचित् अमूर्त्त एवं कथंचित् मूर्त अंगीकार करते हैं। आचार्य विद्यानन्द के अनुसार मूर्त पदार्थों की पर्याय मूर्त्त एवं अमूर्त पदार्थों की पर्याय अमूर्त होती हैं, अतः विशेष भी मूर्त्त एवं अमूर्त होता है। अयुतसिद्ध पदार्थों का जो आधार - आधेय संबन्ध होता है उसे समवाय कहा जाता है । 22 द्रव्य में गुण, द्रव्य में कर्म, द्रव्यादि में सामान्य इस समवाय संबन्ध से ही रहते हैं । 23 यह समवाय जैनदर्शन में पृथक् पदार्थ के रूप में अंगीकृत नहीं है। इसे यहाँ अपृथग्भाव अर्थात् कथंचित् तादात्म्य के रूप में स्वीकार किया गया है । अतः तादात्म्य के कारण एक वस्तु का दूसरी वस्तु पर प्रभाव परिलक्षित होता है । अतः मूर्त्त द्रव्यों के साथ अपृथग्भाव से जो रहता है वह मूर्त होता है तथा अमूर्त द्रव्यों के साथ जो अपृथग्भाव से रहता है, वह अमूर्त होता है । प्रशस्तपादभाष्य में मूर्त्त एवं अमूर्त द्रव्यों के गुणों का कथन इस प्रकार किया गया है, रूपरसगन्धस्पर्शपरत्वापरत्वगुरुत्वद्रवत्वस्नेहवेगा मूर्त्तगुणाः । बुद्धिसुखदुःखेच्छाप्रयत्नधर्माधर्मभावनाशब्दा अमूर्त्तगुणाः । संख्यापरिमाणपृथक्त्वसंयोगविभागा उभयगुणाः । । 24 रूपादि गुणों के इस विभाजन से वैशेषिक एवं जैन दर्शन में यह साम्य दृष्टिगोचर होता है कि वैशेषिक दर्शन में जिस प्रकार रूप, रस, गंध एवं स्पर्श को मूर्त पदार्थों का गुण स्वीकार किया गया है उसी प्रकार जैनदर्शन भी इन्हें द्रव्यों के गुण मानता है । परत्व तो काल में भी पाये जाते हैं एवं काल अमूर्त होता है, अतः उसके परत्व - अपरत्व गुण मूर्त की कोटि में नहीं आ सकते। जैनदर्शन में सुख को अमूर्त एवं मूर्त |
SR No.525089
Book TitleSramana 2014 07 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokkumar Singh, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2014
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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