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________________ साहित्य-सत्कार ग्रन्थ समीक्षा 1. निमाड़ी का भाषा विज्ञान, वर्ण और वर्तनी, मणिमोहन चवरे 'निमाड़ी, मिलिंद प्रकाशन, हैदराबाद-2014, आकार डिमाई, पृ0 140, मूल्य, दो सौ रुपये मात्र, ISBN-8186907-97-1 मध्य प्रदेश का दक्षिण-पश्चिमी भू–भाग निमाड़ अंचल के नाम से जाना जाता है। यह क्षेत्र प्रदेश की अलीराजपुर, धार, इंदौर, होशंगाबाद, बैतूल तथा महाराष्ट्र के अमरावती, बुलढ़ाना, जलगाँव, धुले और नंदूरबार जिलों से सीमाबद्ध है। पच्चीस हजार वर्ग किलोमीटर में फैले निमाड़ क्षेत्र में लगभग इकतीस लाख निमाड़ी भाषी लोग निवास करते हैं। पिछले पैंतीस वर्षों में, विश्व में लगभग तेरह हजार बोलियाँ विलुप्त हो चुकी हैं। वर्तमान में, भारत में, आधुनिक भारतीय आर्यभाषा-कुल की लगभग 570 भाषाएँ बोली जाती हैं। इनमें 122 भाषाएँ और 234 बोलियाँ तो अभी फल-फूल रही हैं किंतु बाकी 214 भाषाएँ मरणासन्न स्थिति में हैं। इनके बोलने वालों की संख्या तेजी से घट रही है। संविधान की आठवीं सूची में 22 भाषाएँ हैं जिनमें कुछ ऐसी भाषाएँ भी हैं जिनको बोलने वालों की संख्या निमाड़ी-भाषियों के आधे से भी कम है। सरकारी फाइलों में नाम दर्ज करा लेने मात्र से भाषा का भला नहीं होता। भाषा को जीवित रखना है तो उसे कंठ से कलम तक कायम रखना होगा। यही सोच, 'निमाड़ी' का भाषा विज्ञान वर्ण और वर्तनी' की पूर्व-पीठिका में काम कर रही है। प्रस्तुत ग्रंथ निमाड़ी लोकभाषा का अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान है। इसमें निमाड़ी के उद्भव, विकास और स्वरूप का वर्णन प्रस्तुत किया गया है। साथ ही भाषा के मानक तथा शुद्ध-अशुद्ध रूप को समझने का प्रयत्न किया है। वर्ण-समूह, निषिद्ध ध्वनियाँ, अयोगवाही विलंबित 'अऽ' के अलावा वर्ण और वर्तनी पर अध्ययन को केंद्रित किया गया है। इसमें निमाड़ी का समाज-भाषा-वैज्ञानिक अध्ययन भी सम्मिलित
SR No.525089
Book TitleSramana 2014 07 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokkumar Singh, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2014
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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