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________________ दलितोद्धारक आचार्य तुलसी एक अन्तरावलोकन : 41 व्यवस्था, अस्पृश्यता और दलित वर्ग की सामान्य पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए जातिवाद के कारण, जातिवाद की अततात्त्विकता, दलितों की सामाजिक स्थिति, अस्पृश्यता निवारण के विविध आन्दोलन, संविधान में अस्पृश्यता निषेध का प्रावधान जैसे विषयों का विवेचन किया है। सामाजिक सुधार पर अणुव्रत आन्दोलन का प्रभाव, अणुव्रत आन्दोलन के कार्यकर्ताओं का जातिवाद और अस्पृश्यता निवारण हेतु प्रयास पर प्रकाश डाला गया है। साथ ही आचार्य श्री के उपदेश और प्रेरणा से तथा स्वयं उनके द्वारा इस दिशा में किये गये कार्यों का व्यवस्थित विवरण इस पुस्तक में उपलब्ध है। आचार्य श्री तुलसी द्वारा हरिजन मोहल्लों में उपदेश, हरिजन सभा में प्रवचन, सार्वजनिक प्रवचन, जातिवाद के विरोध में पुस्तिका लेखन, दलित वर्ग के मकानों में प्रवास, हरिजन स्कूल में प्रवचन आदि कार्य किये गये। साथ ही उनके उत्थान के लिए व्यसन-मुक्ति, जूठन न खाने की प्रेरणा, भारतीय संस्कार-निर्माण समिति का गठन, हरिजन महिला का वर्षी तप पारणा, मन्दिर में हरिजनों का प्रवेश जैसे व्यावहारिक प्रयास आचार्य श्री द्वारा किये गये। आचार्य श्री के मत में अस्पृश्यता और जातिवाद से होने वाली हानियों को संक्षेप में निम्न बिन्दुओं में प्रस्तुत किया जा सकता है1. जाति व्यवस्था के कारण शूद्र और दलित वर्ग में होने वाली प्रतिभाओं का तिरस्कार और उपेक्षा हो जाती थी। उच्च कुल वाले प्रतिभाहीन व्यक्ति भी पैसे के बल पर सम्मान प्राप्त कर लेते थे। 2. प्रजातंत्र समानता, स्वतंत्रता, न्याय आदि गुणों पर आधारित है लेकिन जातिवाद में शोषण, असमानता आदि बुराइयाँ चलती हैं अतः जातिवाद प्रजातंत्र के लिए भी खतरा है। 3. हिन्दू समाज का संगठन जातिप्रथा के कारण कमजोर और जर्जरित हुआ है। अनेक हरिजन धर्मान्तरण करके मुस्लिम या ईसाई समाज के अंग बन गए।
SR No.525087
Book TitleSramana 2014 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokkumar Singh, Omprakash Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2014
Total Pages80
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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