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________________ जाता था जैन अंग साहित्य में वर्णित उद्योग-धन्धे : 5 तथा उस पर मसहरी (मच्छरदानी) लगी हुई थी।२७ मेघकुमार ने नहाकर रोयेंदार और अत्यन्त कोमल गंधकषाय (सुगन्धित कषैले रंग से रंगे) वस्त्र से अपने को पोछा था।२८ वस्त्र व्यवसाय से जुड़े रंगरेज, धोबी और दर्जियों का उल्लेख हुआ है। वस्त्रों की रंगाई-धुलाई का काम धोबी करते थे। धोबी की गणना अठारह श्रेणियों में होती थी।२९ रंगीन वस्त्रों को देशराग कहा जाता था।३० मूल्य के आधार पर तीन प्रकार के वस्त्र थे। उत्तम वस्त्र का मूल्य एक लाख ‘रूवग' और साधारण का अठारह 'रूवग' था। इनके मध्य का वस्त्र मध्यम मूल्य का था। देश के निम्नवर्ग के लोगों के लिए सस्ता और साधारण वस्त्र निर्मित किया जाता था वहीं सम्पन्न वर्ग की आवश्यकतानुसार मूल्यवान और सुन्दर वस्त्रों का निर्माण किया जाता था।३१ भारत के वस्त्र को विदेशों में भी निर्यात किया जाता था।३२ धातु उद्योग : ज्ञाताधर्मकथांग की बहत्तर कलाओं में धातुकला की भी शिक्षा दी गई है।३३ विपाकसूत्र तथा उत्तराध्ययनसूत्र में लिखा है धातुकार्य करने वाले जब लोहा, सीसा, ताँबा, रांगा आदि को पिघलाते थे तो कलकल की आवाज निकलती थी।३४ लोहे का काम करने वाले को लौहकार कहा जाता था। नगर और गाँवों में लौहकारों की शालाएँ थी जिन्हें 'समर' अथवा अयस कहा जाता था।२५ महावीर इन लौहकार शालाओं में कई बार विहार किये थे।३६ लोहे के छोटे-छोटे टुकड़े करके उसके उपकरण बनाए जाते थे। ज्ञाताधर्मकथांग में लुहारों की भट्ठियों का उल्लेख मिलता है।३७ भगवतीसूत्र से ज्ञात होता है कि लोहा तपाने की भट्ठी में लोहे को तप्त किया जाता था। बीच-बीच में चमड़े की बनी हुई धौकनी से अग्नि प्रज्ज्वलित किया जाता था। इसके बाद प्रतप्त लोहे को लौह निर्मित उपकरण ‘सँड़सी' से आवश्यकतानुसार ऊँचा-नीचा किया जाता था। फिर प्रतप्त लोहे को एरण पर रखकर ‘चर्मष्ठ या मुष्टिक' (हथौड़े) से पीटा जाता था। पीटे हुए लोहे को ठंडा करने के लिए कुण्ड में डाला जाता था जिसे 'द्रोणी' कहते थे।३८ लोहार लोहे को पीटकर पतलाकर उससे अनेक प्रकार के युद्ध उपकरण, मुद्गल, भुशंडि, करौंत, त्रिशूल, हल, गदा, भाला, तोमर, शूल, बर्ची, तलवार आदि निर्मित करते थे।३९ आचारांगसूत्र से ज्ञात होता है कि दैनिक
SR No.525087
Book TitleSramana 2014 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokkumar Singh, Omprakash Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2014
Total Pages80
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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