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________________ 12 : श्रमण, वर्ष 64, अंक 1 / जनवरी-मार्च 2013 यह निम्रन्थ संघ कर्णाटक के रास्ते उत्तर की ओर बढ़ा। उधर उत्तर का निर्ग्रन्थ संघ सचेल और अचेल दो भागों में विभक्त हो गया। सचेल या श्वेताम्बर परम्परा राजस्थान-गुजरात एवं पश्चिमी महाराष्ट्र होती हुई कर्णाटक पहुंची तो अचेल परम्परा बुन्देलखण्ड एवं विदिशा होकर विन्ध्य और सतपुड़ा को पार करती हुई महाराष्ट्र से होकर उत्तरी कर्णाटक पहुंची। चूंकि यह संघ इन क्षेत्रों से होता हुआ कर्णाटक पहुंचा इसलिये विन्ध्य एवं बुन्देलखण्ड का यह क्षेत्र दिगम्बर वर्चस्व का क्षेत्र हो गया। जैन तीर्थों के इतिहास को देखें तो विन्ध्य के अधिकांश जैन तीर्थ दिगम्बर जैन तीर्थ ही हैं । श्वेताम्बर तीर्थ प्राय: नहीं के बराबर हैं। मध्यप्रदेश के इस क्षेत्र में भारतीय कला एवं संस्कृति का अभूतपूर्व विकास हुआ। जैन मन्दिरों एवं स्थापत्य की दृष्टि से अनेक उत्कृष्ट भवनों का निर्माण हुआ। तीर्थक्षेत्र का प्रचलन चाहे वे जैन हों, बौद्ध हों या हिन्दू हों, प्रत्येक धर्म एवं सम्प्रदायों में रहा है। जैनधर्म के अन्तर्गत धर्म के प्रतिरूप को ही तीर्थ की मान्यता प्रदान की गयी है। तीर्थ क्षेत्र की दृष्टि से मध्यप्रदेश को चार प्राचीन जनपदों में बांटा जा सकता है- (१) चेदि जनपद, (२) सुकोशल जनपद, (३) दशार्ण-विदर्भ जनपद तथा (४) मालव अवन्ती जनपद। जिनसेन के आदिपुराण में भगवान ऋषभदेव की आज्ञा से इन्द्र ने भारत को जिन ५२ जनपदों में विभाजित किया था उनमें भी मध्यप्रदेश-स्थित सुकोशल, अवन्ती, मालव, दशार्ण और चेदि नाम प्रमुख रूप से उल्लेखनीय हैं । मध्यप्रदेश के प्राचीन जनपदों में सुकोशल की सीमायें उत्तर में अमरकंटक में नर्मदा के मुहाने से दक्षिण में महानदी तक तथा पश्चिम में बानगंगा से लेकर पूर्व में हरदा और जोंक नदियों तक फैला हुआ है। यहां कलचुरी राजाओं का शासन था। अवन्ती जनपद मालवा का प्राचीनतम नाम है जिसकी राजधानी उज्जयिनी थी। दशार्ण नाम के दो देशों का उल्लेख मिलता है- जिसकी राजधानी विदिशा थी। चेदि को आज बुन्देलखण्ड के नाम से जाना जाता है। प्राचीन चेदि की सीमायें थीं- पश्चिम में काली सिंध, पूर्व में टोंस। टाड राजस्थान (१.४३) में चेदि की पहचान चंदेरी से की गयी है तथा इसे शिशुपाल की राजधानी बताया गया है। 'आइने अकबरी के अनुसार यह एक बहुत बड़ा शहर था जिसमें एक किला भी था। डॉ० फ्यहरर, जेनरल कनिंघम एवं डॉ०व्हलर का मत है कि दहल मंडल या बुन्देलखण्ड ही प्राचीन चेदि है। दहल नर्मदा का तटवर्ती भाग है । गुप्तकाल में कालंजर इसकी राजधानी थी। चेदि को इसकी राजधानी त्रिपुरी के कारण त्रिपुरी भी कहा जाता था जो वर्तमान में तेवर के नाम से जाना जाता है। यह क्षेत्र इतिहास, कला, पुरातत्त्व के अतिरिक्त अतिशय क्षेत्र की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है।
SR No.525083
Book TitleSramana 2013 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2013
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size14 MB
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