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श्रमण के यशस्वी लेखक : viii आलोचकों में काका कालेलकर, राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर', आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, जैनेन्द्र कुमार, डॉ. राम कुमार वर्मा, डॉ. धीरेन्द्र वर्मा एवं डॉ. नामवर सिंह। दिवंगत जैन विद्वान्महान् दिवंगत जैन विद्वानों की श्रृंखला में आदरणीय जुगल किशोर 'मुख्तार', पं. सुखलाल संघवी, डॉ. नेमिचन्द्र शास्त्री, फूलचन्द सिद्धान्त शास्त्री, डॉ. दरबारी लाल कोठिया, पं. बेचरदास दोशी, पं. अगरचन्द नाहटा, पं. महेन्द्र कुमार 'न्यायाचार्य', पद्मभूषण पं. दलसुख मालवणिया, श्री भंवरलाल नाहटा, डॉ. जगदीशचन्द्र जैन, प्रो. गुलाब चन्द्र चौधरी, प्रो. हरिवल्लभ चुनीलाल भायाणी, डॉ. नथमल टाटिया, डॉ. मोहनलाल मेहता, डॉ. के. आर. चन्द्रा, आदि। वर्तमान जैन विद्वान्वर्तमान शीर्षस्थ विद्वानों में प्रो. पद्मनाभ एस. जैनी, प्रो. रामजी सिंह, प्रो. सागरमल जैन, प्रो. भागचन्द जैन 'भास्कर', प्रो. गोकुल चन्द्र जैन, डॉ. राजाराम जैन, प्रो. सुरेश चन्द्र पाण्डे, प्रो. सत्यपाल नारंग, प्रो. प्रेमसुमन जैन आदि विद्वानों के लेख प्रकाशित हो चुके हैं। जब हम इस दृष्टि से विचार करते हैं कि किन-किन विद्वानों द्वारा श्रमण में अधिक संख्या में लेख लिखे गये तो सर्वप्रथम हमारे समक्ष स्वर्गीय अगरचन्द नाहटा का नाम आता है जिनके 141 लेख श्रमण में प्रकाशित हैं। शताधिक लेख प्रकाशित करने वाले दूसरे विद्वान हैं प्रोफेसर सागरमल जैन । स्व. डॉ. मोहन लाल मेहता के भी लगभग 80 लेख श्रमण में प्रकाशित हो चुके हैं। अपभ्रंश के प्रसिद्ध विद्वान् डॉ. देवेन्द्र शास्त्री के 76 लेख अब तक श्रमण में प्रकाशित हो चुके हैं। इसप्रकार श्रमण में समकालीन महान् पुरुषों एवं विद्वानों के लेख प्रकाशित होना इसके उच्च स्तर का सशक्त प्रमाण है।
डॉ. अशोक कुमार सिंह
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