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________________ जैन अंग साहित्य में प्रतिबिम्बित...... : 17 [2] पुंसवन-संस्कार (2) क्षुल्लक विधि (2) शान्तिककर्म विधि [3] जातकर्म-संस्कार (3) प्रवज्या विधि (3) पौष्टिककर्म विधि [4] सूर्य-चन्द्र दर्शन-संस्कार (4) उपस्थापना विधि (4) बलिविधान विधि [5] क्षीराशन-संस्कार (5) योगोद्वहन विधि (5) प्रायश्चित्त विधि । [6] षष्ठी-संस्कार (6) वाचनाग्रहण विधि (6) आवश्यक विधि [7] शुचि-संस्कार (7) वाचनानुज्ञा विधि (7) तप विधि [8] नामकरण-संस्कार (8) आचार्य-पदस्थापन विधि (8) पदारोपण विधि (9) अन्नप्राशन-संस्कार (9) उपाध्याय-पदस्थापन विधि (10) कर्णवेध-संस्कार (10) प्रतिमा-उद्वहन विधि (11) चूणाकरण-संस्कार (11) साध्वी की दीक्षा विधि (12) उपनयन-संस्कार (12) प्रवर्तिनीपद-स्थापना विधि (13) विद्यारम्भ-संस्कार (13) महत्तरापदस्थापन विधि (14) विवाह संस्कार (14) अहोरात्रिचर्या विधि (15) व्रतारोपण संस्कार (15) ऋतुचर्या विधि (16) अन्त्य-संस्कार (16) अन्तिमसंलेखना विधि गृहस्थ संस्कार (1) गर्भाधान संस्कार- इस संस्कार का प्रायोजन गर्भ की प्रसिद्धि एवं रक्षा के उद्देश्य से किया जाता था। वैदिक परम्परा में यह संस्कार सन्तान की प्राप्ति के लिए किया जाता था।
SR No.525080
Book TitleSramana 2012 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2012
Total Pages72
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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