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पार्श्वनाथ विद्यापीठ समाचार
1. 'Jainism How and Why' विषयक व्याख्यान सम्पन्न दिनांक 3 जनवरी 2012 को पार्श्वनाथ विद्यापीठ के सभागार में प्रो. फिलिप क्लेटोन, अध्यक्ष, क्लेरमाण्ट यूनिवर्सिटी, अमेरिका एवं संकाय अध्यक्ष क्लेरमाण्ट स्कूल ऑफ थियालॉजी द्वारा 'Jainism How and Why' विषय पर एक व्याख्यान प्रस्तुत किया गया। प्रो. फिलिप ने बताया कि आज की जो वर्तमान परिस्थिति है उसमें धर्म अपनी प्रासंगिकता खो रहा है। विशेषकर युवा वर्ग अपनी जीवनशैली में धर्म को स्थान नहीं देना चाहते हैं। प्रत्येक धर्म में मानवोपयोगी तत्त्व निहित हैं। इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि थे महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. पृथ्वीश नाग। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. डी. एन. तिवारी, अध्यक्ष, दर्शन एवं धर्म विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, तथा प्रो. एम. एन. पी. तिवारी, पूर्व अध्यक्ष, कला एवं इतिहास विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी। इस अवसर पर तीन पुस्तकों प्राकृत-हिन्दी कोश, जैनकुमारसंभव एवं कर्मग्रन्थ-5 (शतक) तथा श्रमण के अक्टूबर-दिसम्बर 2011 अंक का विमोचन हुआ। संस्थान के निदेशक प्रो. सुदर्शन लाल जैन ने संस्थान का परिचय, विमोचित कृतियों का परिचय एवं अतिथियों का स्वागत वक्तव्य दिया। कार्यक्रम का संचालन संस्थान के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अशोक कुमार सिंह तथा धन्यवाद ज्ञापन संस्थान के संयुक्त निदेशक डॉ. श्रीप्रकाश पाण्डेय ने किया।
2. '21वीं सदी में श्रमण संस्कृति की प्रासंगिकता' विषयक अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न पार्श्वनाथ विद्यापीठ द्वारा अपनी स्थापना (1937) के 75 वर्ष पूर्ण होने पर कौस्तुभ जयन्ती वर्ष 2012 के उपलक्ष्य में '21वीं सदी में श्रमण संस्कृति की प्रासंगिकता' विषयक द्विदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन दिनांक 24-25 फरवरी 2012 को किया गया। इस अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र (24 फरवरी 2012) के मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. बी. एम. शुक्ला, पूर्व कुलपति, गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर ने कहा कि किसी भी संस्था के लिए कौस्तुभ जयन्ती मनाना महत्त्वपूर्ण है। यह आयोजन इस बात का संकेत करता है कि संस्था अपनी स्थापना से लेकर आज तक शोध एवं प्रकाशन के क्षेत्र में सक्रिय रही है और इससे सम्बद्ध लोग प्रशंसा के पात्र हैं। समारोह के अध्यक्ष प्रो. के. डी. त्रिपाठी, इमेरिटस प्रोफेसर, धर्मविज्ञान संकाय, काशी हिन्दू