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________________ CTOR पार्श्वनाथ विद्यापीठ समाचार : 81 विश्वविद्यालय, वाराणसी ने कहा कि निश्चित रूप से नग्न भौतिकवाद के इस काल में धर्म में निहित लोक कल्याणकारी सिद्धान्तों पर विद्वत्- चिन्तन समय की मांग है। समारोह के आरम्भ में विद्यापीठ के प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष डॉ. शुगन चन्द जैन ने पार्श्वनाथ विद्यापीठ के इतिहास एवं इसकी भावी योजनाओं पर प्रकाश डाला साथ ही जैन सिद्धान्तों की वर्तमान में प्रासंगिकता पर भी प्रकाश डाला। संस्थान के निदेशक प्रो. सुदर्शन लाल जैन ने संगोष्ठी का विषय प्रवर्तन किया तथा संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अशोक कुमार सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर, पार्श्वनाथ विद्यापीठ ने किया। ANAT VE NAUGURAL FUNCTION & Book H Consult संगोष्ठी के समापन सत्र (25 फरवरी 2012) के मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. पंजाब सिंह, पूर्व कुलपति, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी ने कहा कि आज सबसे बड़ी आवश्यकता व्यक्ति को स्वयं में सुधार लाने की है। व्यक्ति स्वयं को सुधार ले तो समाज स्वयं ही सुधर जाएगा। समारोह की विशिष्ट अतिथि प्रो. चारित्र प्रज्ञा, कुलपति, जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय, लाडनूँ, राजस्थान ने कहा कि हम श्रमण शब्द के निहितार्थ को जीवन में उतार सकें जिसका शाब्दिक अर्थ है 'समता', तो हम समाज में एकरूपता एवं समरसता ला सकते हैं। हमारे तीर्थकरों द्वारा उपदिष्ट सिद्धान्त विश्वशान्ति और विकास के लिए आज भी बहुत उपयोगी हैं। इस समापन सत्र की अध्यक्षता प्रो. ए. के. जैन, संकायाध्यक्ष, सामाजिक विज्ञान संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी ने किया। संगोष्ठी के समापन सत्र में कार्यक्रम का संचालन संस्थान के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अशोक कुमार सिंह ने किया। संस्थान का परिचय डॉ. राहुल कुमार सिंह, रिसर्च एसोसिएट एवं धन्यवाद ज्ञापन श्री ओमप्रकाश सिंह, पुस्तकालयाध्यक्ष ने किया। इस द्विदिवसीय संगोष्ठी में 56 शोध-पत्रों का वाचन हुआ। संगोष्ठी में पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी तथा प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर के संयुक्त तत्त्वावधान में प्रकाशित पुस्तकों 'कान्सेप्ट ऑफ मैटर इन जैन
SR No.525079
Book TitleSramana 2012 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2012
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size12 MB
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