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________________ ७४ : श्रमण, वर्ष ६२, अंक ४ / अक्टूबर-दिसम्बर २०११ ७. सूर्य-दर्शन से संकेत मिलता है कि आने वाला पुत्र मोह एवं अज्ञानांधकार का नाश कर ज्ञान का प्रकाश करने वाला विश्वोत्तम महापुरुष होगा, ८. महाध्वज के स्वप्न से ज्ञात होता है कि गर्भस्थ आत्मा महान् पुण्यशाली, प्रतिष्ठित एवं यशस्वी होगी, ९. सभी प्रकार की विशेषताओं से परिपूर्ण पत्र-प्राप्ति का संकेत पूर्णकलश से मिलता है, १०. पद्मसरोवर का अर्थ है कि पुत्र संसारी प्राणियों के पापरूपी ताप का हरण करके सभी को पवित्र एवं शीतल बनायेगा, ११. समुद्र-दर्शन का फलितार्थ है कि पुत्र समुद्र के समान गंभीर होगा, १२. विमान दर्शन का फल है कि पुत्र वैमानिक देवो से सेवित होगा, १३. रत्न-राशि यह बताती है कि वह महान् गुणों की खान होगा एवं १४. निर्धूम अग्नि का अंतिम स्वप्न यह संदेश दे रहा है कि पुत्र महातेजस्वी होगा। चक्रवर्ती की मातायें भी उपर्युक्त चौदह स्वप्नों का दर्शन करती हैं। वासुदेव की मातायें इन चौदह में से कोई सात स्वप्न देखती हैं। बलदेव की मातायें चौदह में से किन्हीं चार स्वप्नों का दर्शन करती हैं एवं मांडलिक की मातायें यावत् इन चौदह महास्वप्नों में से कोई एक महास्वप्न देखकर जागृत होती हैं। १३ महावीर द्वारा देखे गये स्वप्न व उनका फल : छद्मावस्था की अंतिम रात्रि में महावीर जिन दस महास्वप्नों को देखकर जागृत हुए वे दस स्वप्न ४ इस प्रकार हैं१. एक महाभयंकर और तेजस्वी रूप वाले ताड़ वृक्ष के समान लम्बे पिशाच को स्वप्न में पराजित किया। श्वेत पंखों वाले एक महान् पुंस्कोकिल को देखा। चित्र-विचित्र पंखों वाले पुंस्कोकिल को स्वप्न में देखा। ४. सर्वरत्नमय एक महान् माला-युगल को देखा। एक महान् गोवर्ग को देखा। चारों ओर से पुष्पित एक महान् पद्मसरोवर को देखा। महासागर को अपनी भुजाओं से घिरे हुए देखा। . स्वतेज से जाज्वल्यमान एक महान् दिवाकर को देखा। ९. विशाल मानुषोत्तर पर्वत को नील वैडूर्य मणि के समान अपनी आँतों में चारों ओर से आवेष्टित देखा। महान् मन्दर नामक सुमेरू पर्वत की मंदर चूलिका पर श्रेष्ठ सिंहासन पर स्वयं को बैठे हुए देखा। ; o r
SR No.525078
Book TitleSramana 2011 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2011
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size14 MB
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