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________________ सम्पादकीय भ्रष्टाचार निवारण : अपरिग्रह, अहिंसा सिद्धान्त की उपादेयता मुख पृष्ठ पर दिया गया चित्र एक प्रतीकात्मक चित्र है जो संसार-दर्शन से सम्बन्धित है जिसमें मधु-बिन्दु के दृष्टान्त से सांसारिक प्राणियों की दशा का चित्रण किया गया है। इस चित्र में एक मनुष्य एक वृक्ष की दो शाखाओं के सहारे लटका हुआ है और मधुमक्खियों के छत्ते से टपकती हुई शहद की बूँदों के मीठे रस को चखने में आनन्द-मग्न है। यह मनुष्य संसार के सभी जीवों का प्रतिनिधि है। उसे अपने चारों ओर विद्यमान मौत के ताण्डव का जरा भी ध्यान नहीं है। इस चित्र में हाथी यमराज का प्रतीक है जो पेड़ को जड़ से उखाड़ रहा है। काले और सफेद चूहे रात और दिन या कृष्णपक्ष और शुक्लपक्ष के प्रतीक हैं जो आयु रूपी पेड़ की डाल को काट रहे हैं जिसके सहारे आदमी लटका हुआ है। नीचे एक कुआँ है जिसमें मुँह खोले हुए चार सर्प उस व्यक्ति को डंसने के लिए तत्पर दिखलाई दे रहे हैं। ये चारों सर्प नरकादि चार गतियों के प्रतीक हैं। कहीं-कहीं कुएँ में पाँच सर्प भी दिखलाये गए हैं जो संसार-बन्धन (कर्म-बन्धन) के प्रमुख पाँच कारणों के प्रतीक हैं। ये पाँच कारण हैं- मिथ्यात्व, अविरति, प्रमाद, कषाय और योग। इनके कारण ही मनुष्य को कर्म-बन्धन में बँधना पड़ता है। कुआँ स्वयं मौत का कुण्ड है। जो दो शाखाएँ व्यक्ति पकड़े हुए है वे शाखाएँ नहीं अपितु रागद्वेष रूपी अजगर हैं। चारों ओर का परिवेश जन्म, मृत्यु, बुढ़ापा, रोग आदि से परिपूर्ण संसार रूपी जंगल है। विमान में दृश्यमान् देव-युगल हितोपदेशी गुरुतुल्य है जो उसे इस संसार की मुसीबतों से छुटकारा दिलाने के लिए अपने पास बुला रहा है परन्तु क्षणिक इन्द्रिय-विषय सुख रूपी मधु-रस के पान के लोभवश वह उसके हितोपदेश को अनसुना कर रहा है। यही स्थिति संसार के प्राणियों की है जो आज कुछ अधिक विकराल रूप लेकर दिखलायी दे रही है। चारों ओर क्षणिक सांसारिक सुखों की आकांक्षा से प्रेरित होकर व्यक्ति नाना प्रकार के अपराध कर भ्रष्टाचारी हो रहा है। घूसखोरी, चोरी, डकैती, छीना-झपटी, बलात्कार, नक्सली हिंसा, भ्रष्टाचार आदि अनेक मुद्दे इस देश में पनप रहे हैं जो कभी राम, कृष्ण, महावीर, बुद्ध, गाँधी आदि की जन्मभूमि रहा है। ऐसी स्थिति में अन्ना हजारे जैसे अहिंसावादी देशभक्त ने पूरे देश को अपने अहिंसक आन्दोलन तथा अनशन के द्वारा हिला दिया है। प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार
SR No.525077
Book TitleSramana 2011 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2011
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size12 MB
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