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________________ १६ : श्रमण, वर्ष ६२, अंक ३ / जुलाई-सितम्बर २०११ इस स्थिति में प्राकृत भाषा में निबद्ध आगम मान्य प्रकीर्णक अंगविज्जां१४ 'चाय' शब्द का वनस्पति विशेष के रूप में उल्लेख महत्त्वपूर्ण माना जा सकता है। आलू (भगवती सूत्र) १५ अमेरिकी वैज्ञानिकों के अनुसार आज से ७००० वर्ष से भी पहले से पेरु के किसान आलू की खेती कर रहे हैं। सोलहवीं सदी में स्पेन ने अपने दक्षिणी अमेरिकी उपनिवेशों से आलू को यूरोप पहुँचाया उसके बाद ब्रिटेन जैसे देशों ने आलू को दुनियाँभर में लोकप्रिय बना दिया । जैन अङ्ग आगम में उपलब्ध देश्य शब्दों का विवेचन ग्रन्थ क्रम से इस प्रकार है गोल १६ - प्राकृत वाङ्मय में 'गोल' देश्य शब्द गोला और जार से उत्पन्न होने के अर्थ में प्रयुक्त होने के साथ-साथ साक्षी, निष्ठुरता, कठोरता आदि अर्थ में भी प्रयुक्त हुआ है।९७ संस्कृत में भी यह शब्द पाया जाता है। जैन वाङ्मय में संस्कृत शब्द गोल वृक्ष - विशेष, वृत्ताकार, मण्डलाकार, कुण्डा, गेंद आदि आदि अर्थों में प्रयुक्त हुआ है। १८ | १८ पालि साहित्य में उपलब्ध 'गोलो' शब्द भी गोल के अर्थ में ही प्रयुक्त हुआ है। १९ चंगबेर डालिया अर्थ में इस देश्य शब्द का प्रयोग प्राप्त होता है । १० हिन्दी में इसका वर्तमान प्रचलित रूप चंगेर, चंगेरा, चंगेरी है। अपभ्रंश साहित्य में चंगबेर का चंगेडा रूप मिलता है। ११ चंगबेर से चंगेर की यात्रा प्राकृत के ध्वनि परिवर्तन के नियमों के अनुसार है। चंगबेर के व् का लोप होकर ए शेष रहा है। ग् के अ और ए दोनों स्वरों के स्थान पर 'लुक' नियम से पूर्व स्वर का लोप होकर ग्+ए गे होकर चंगेर बना है। २२ उल्लेखनीय है कि आचाराङ्ग से प्रश्नव्याकरण परवर्ती ग्रन्थ है, उसमें चंगेरी शब्द भी इसी अर्थ में प्रयुक्त हुआ है । २३ चाउल इस देश्य शब्द का प्रयोग आचाराङ्ग २४ में सर्वप्रथम प्राप्त होता है जो चावल, तण्डुल अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। अपभ्रंश में भी चाउल शब्द ही प्राप्त होता है। २५ आचार्य हेमचन्द्रकृत देशीनाममाला में भी चाउल का ही उल्लेख है । २६ राजस्थान में चाउल और भोजपुरी में चाउर शब्द प्रचलित है । २७ गुजराती में चावल शब्द मिलता है । १८ हिन्दी में आज चावल शब्द धान के सार भाग जो बीज से भूसी अलग कर देने पर शेष रहता है, पकाया हुआ चावल 'भात' के अर्थ में प्रयोग किया जाता है।
SR No.525077
Book TitleSramana 2011 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2011
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size12 MB
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