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________________ अङ्ग आगम में प्रयुक्त देश्य शब्द : १५ जल से परिणाम को उत्पन्न होता है, यह बताया गया है। संस्कृत में कम् का अर्थ जल बताया गया है। स्थानाङ्गसूत्र की वृत्ति में (नवाङ्गीकार अभयदेवसूरि) में कफ का प्रयोग मिलता है।' डेप (Deep) - छेदसूत्र व्यवहार भाष्य की टीका में 'डेप' शब्द का प्रयोग गहरे अर्थ में प्राप्त होता है। डेप देश्य शब्द की अंग्रेजी के 'डीप' से समानता है। बोंदि (Body)-बोंदि शब्द जैन आगम साहित्य में अनेक बार प्रयुक्त हुआ है। आचाराङ्गचूला', सूत्रकृताङ्ग व व्याख्याप्रज्ञप्ति, में 'भासुर बोंदि' शब्द प्रयुक्त हुआ है। स्थानाङ्गसूत्र.२ में एक पद का शीर्षक ही 'बोंदि पद' है। उल्लेखनीय है कि स्थानाङ्गसूत्र का वर्गीकरण स्थान, उद्देशक (किसी-किसी स्थान में), पद (प्रकरण) और सूत्र में है। वरांडा (Verandah)-जीतकल्प विषमपद व्याख्या१३ में वराण्डा अंग्रेजी शब्द verandah (हिन्दी अर्थ बरामदा) के समान अर्थ में ही प्रयुक्त हुआ है। इस प्रकार अंग्रेजी के कुछ शब्द भी जन सामान्य द्वारा ईसा पूर्व से ही बोल-चाल की भाषा में प्रयुक्त किये जाते रहे हैं और इनके प्राचीनतम साहित्यिक स्रोत के रूप में अर्धमागधी अङ्गसाहित्य और उसका व्याख्या साहित्य माना जा सकता है। चाय और आलू आगम ग्रन्थों में उपलब्ध देश्य शब्दों के सङ्कलन के क्रम में 'चाय और आलू' शब्द उपलब्ध हुए जिनकी उत्पत्ति (७७० वर्ष ई०पू०) क्रमशः चीन और चिली एवं पेरु देशों में मानी जाती है। निश्चित रूप से भारत में भी पेय के रूप में चाय का और सब्जी के रूप में आलू का प्रयोग बहुत पहले से होता रहा होगा। जहाँ तक साहित्य में 'चाय और आलू के उपलब्ध होने का प्रश्न है पालि त्रिपिटक और वैदिक साहित्य तथा संस्कृत कोशों में 'चाय' शब्द का उल्लेख नहीं है। संस्कृत साहित्य में चाय शब्द का उल्लेख न होने का कारण इसका देश्य होना हो सकता है या सम्भवत: इस वनस्पति का उपयोग तो होता रहा है पर इसका नाम प्रचलित न रहा हो। विकिपीडिया मुक्तज्ञान कोश में 'चाय की उत्पत्ति' शीर्षक के विवरण में प्रदत्त यह तथ्य भी इसकी पुष्टि करता हैसन् १८१५ कुछ अंग्रेज यात्रियों का ध्यान असम में उगने वाली चाय की झाड़ियों पर गया जिसे स्थानीय आदिवासी एक पेय बनाकर पीते थे। भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड विलियम बैंटिक ने सन् १८३४ में चाय की परम्परा भारत में विकसित करने और उसका उत्पादन करने की सम्भावना तलाश करने के लिए एक समिति का गठन किया। इसके बाद सन् १८३५ में असम में चाय के बाग लग गए।
SR No.525077
Book TitleSramana 2011 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2011
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size12 MB
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