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________________ अङ्ग आगम में प्रयुक्त देश्य शब्द : हिन्दी शब्दों के प्राचीनतम साहित्यिक स्रोत के रूप में डॉ० अशोक कुमार सिंह यह सर्वमान्य तथ्य है कि प्राकृत की विभिन्न बोलियों, पालि और अपभ्रंश का आधुनिक भारतीय भाषाओं- आर्य एवं द्राविड़, के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान है। अर्धमागधी आगमों में द्वादशांगी जैन परम्परा का प्राचीनतम उपलब्ध साहित्य है। अङ्ग साहित्य में उपलब्ध देश्य शब्दों पर दृष्टिपात करने से ज्ञात होता है कि कुछ देश्य शब्द यथावत्- अर्थ एवं स्वरूप, तो कुछ किञ्चित् ध्वनि-परिवर्तनों, अर्थ-विस्तार और अर्थ-संकोच के साथ हिन्दी साहित्य और बोलचाल में प्रयुक्त हो रहे हैं। यद्यपि ये शब्द अर्धमागधी आगमों की रचना से पूर्व भी प्रयोग में आ रहे होंगे, इसमें कोई संदेह नहीं। परन्तु हिन्दी के शब्दों की उत्पत्ति, अर्थ-संकोच, अर्थ-विस्तार, ध्वनिपरिवर्तन की दृष्टि से अङ्गों में उपलब्ध देश्य शब्दों का अध्ययन महत्त्वपूर्ण है। उल्लेखनीय है कि इनमें से कुछ शब्द भाषागत विशेषताओं के साथ पालि और अपभ्रंश में भी पाये जाते हैं। इस लेख का उद्देश्य हिन्दी शब्दों के प्राचीनतम साहित्यिक स्रोत के रूप में सामान्य रूप से प्राचीन जनभाषाओं की महत्ता के निदर्शन के साथ-साथ भारतीय संस्कृति के समय रूप को समझने के लिए इन जन-भाषाओं के अध्ययन की आवश्यकता को रेखांकित करना है। -सम्पादक 'अनेकता में एकता' भारतीय संस्कृति की प्रमुख विशेषता है। भारतीय संस्कृति की दो प्रमुख धाराओं वैदिक और श्रमण में से वैदिक परम्परा ने संस्कृत को अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया। जबकि श्रमण परम्परा की पोषक जैन और बौद्ध परम्पराएँ लोकाभिमुख रहीं। जन सामान्य तक अपने संदेशों को पहुँचाने के लिए प्राकृत (अनेक बोलियों के समूह) को अपनाया। काल और क्षेत्र के अनुसार प्राकृत की विभिन्न बोलियों का प्रादुर्भाव हुआ और उन बोलियों में रचित प्रभूत साहित्य भी उपलब्ध है। भगवान् महावीर ने अपने उपदेश का माध्यम अर्धमागधी प्राकृत को बनाया तो भगवान बुद्ध ने पालि को। जैन परम्परा का प्राचीनतम साहित्य अर्धमागधी प्राकृत में रचित जैन आगम है। आगमों का रचनाकाल ५वीं शती ई० पू० से ईसा की ५वीं शती के मध्य माना
SR No.525077
Book TitleSramana 2011 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2011
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size12 MB
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