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________________ ध्यान : एक अनुशीलन : ३५ धर्मध्यान की चार अनुप्रेक्षाएँ हैं (१) अनित्यानुप्रेक्षा- सभी ऐहिक वस्तुयें अनित्य हैं- अशाश्वत हैं, इस प्रकार का चिन्तन करना, ऐसे विचारों का अभ्यास करना। (२) अशरणानुप्रेक्षा- 'जन्म, जरा, रोग, वेदना, मृत्यु आदि के समय कोई शरण नहीं है' ऐसा बार-बार चिन्तन करना। (३) एकत्वानुप्रेक्षा- मृत्यु, वेदना, शुभ-अशुभ, कर्मफल इत्यादि को जीव अकेला ही भोगता है। उत्थानपतन, सुख, दुःख आदि का सारा दायित्व एकमात्र जीव का अपना अकेले का ही है अत: क्यों न प्राणी आत्मकल्याण में जुटे, इस प्रकार की वैचारिक प्रवृत्ति जगाना। (४) संसारानुप्रेक्षा- संसार की असारता का बारम्बार चिन्तन करना। शुक्ल ध्यान- स्वरूप की दृष्टि से शुक्लध्यान के चार भेद इस प्रकार (१) पृथक्त्व-वितर्क-सविचार- वितर्क का अर्थ श्रुतावलम्बी विकल्प है। पूर्वधर मुनि पूर्वश्रुत-विशिष्ट ज्ञान के अनुसार किसी एक द्रव्य का आलम्बन लेकर ध्यान करता है किन्तु उसके किसी एक परिणाम या पर्याय पर स्थिर नहीं रहता, उसके विविध परिणामों पर संचरण करता है- शब्द से अर्थ पर अर्थ से शब्द पर तथा मन, वाणी एवं देह में एक दूसरे की प्रवृत्ति पर, संक्रमण करता है, अनेक अपेक्षाओं से चिन्तन करता है। ऐसा करना पृथक्त्व-वितर्क-विचार शुक्लध्यान है। (२) एकत्व-वितर्क अविचार- पूर्वधर, पूर्वश्रुत का ज्ञाता पूर्वश्रुतविशिष्ट ज्ञान के किसी एक परिणाम पर चित को स्थिर करता है। ऐसा ध्यान जो शब्द, अर्थ, मन, वाणी तथा देह पर संक्रमण नहीं करता एकत्व वितर्क अविचार की संज्ञा से अभिहित है। (३) सूक्ष्मक्रिया-अप्रतिपाति (अनिवर्ती)- जब केवली आयु के अन्त समय में योग-निरोध का क्रम प्रारम्भ करते हैं, तब वे मात्र सूक्ष्म काययोग का अवलम्बन लिये होते हैं, उनके और सब योग निरुद्ध हो जाते हैं केवल श्वास-प्रश्वास जैसी सूक्ष्म क्रिया ही अवशेष. रह जाती है। वहाँ ध्यान से च्युत होने की कोई संभावना नहीं रहती। उस अवस्था का ध्यान सूक्ष्मक्रियाअप्रतिपाति शुक्लध्यान है। (४) समुच्छिन्न-क्रिया-अनिवृत्ति- यह ध्यान मोक्ष का साक्षात् कारण है। यह वह स्थिति है, जब सब प्रकार के स्थूल तथा सूक्ष्म मानसिक, वाचिक
SR No.525074
Book TitleSramana 2010 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh, Shreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2010
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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