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________________ जैन जगत् : ११७ निश्चित ही एक अपूरणीय क्षति है। एक सन्त जीवन का अन्तःपरीक्षण उनके सम्पूर्ण मानवीय विकासात्मक परम्पराओं के अनुशीलन पर निर्भर करता है। आचार्यश्री ऐसे ही उदारचेता, अहिंसाप्रिय पुरुष थे। उनका यह महाप्रयाण कायोत्सर्ग मात्र ही कहा जायेगा। क्योंकि उन्होंने अपने अनेकों प्रवचनों में काया को धर्मशाला कहा है। धर्मसंघ में उन्होंने मर्यादा को सदैव महत्त्व दिया। अपने गुरु आचार्य तुलसी की तरह निज पर शासन किया और अनुशासन पर जोर दिया। उन्होंने प्रेक्षाध्यान के रूप में जैन-योग का शोधन और प्रवर्तन कर योग के क्षेत्र में अपूर्व योगदान दिया। उनके महाप्रयाण से न केवल जैन जगत् अपितु सम्पूर्ण मानव जगत् की जो आध्यात्मिक क्षति हुई है उसकी पूर्ति असंभव सी लगती है। आचार्य श्री की आत्मा जहाँ कहीं भी होगी जैन विद्या के उपासकों को आलोक व प्रेरणा प्रदान करती रहेगी, ऐसी हमारी भावना है। उनके इस महाप्रयाण पर समस्त पार्श्वनाथ विद्यापीठ परिवार ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की तथा उनके मार्ग पर चलने का भाव अभिव्यक्त किया। पावागिरि सिद्धक्षेत्र के अध्यक्ष एवं निर्माण मंत्री का दुःखद निधन मध्य प्रदेश में स्थित पावागिरि सिद्धक्षेत्र के अध्यक्ष श्री विमल चंद जैन का आसाम के खारुपेटिया जिले में ७ मई २०१० रात्रि एक बजे कार दुर्घटना में निधन हो गया। इस सन्दर्भ में सनावद में १० मई को प्रातः ९ बजे शोक सभा रखी गयी जिसमें देश की अनेक विशिष्ट हस्तियाँ भी सम्मिलित हुईं। पार्श्वनाथ विद्यापीठ की ओर से श्री जैन को हार्दिक श्रद्धांजलि। आचार्यश्री बाहुबली सागर जी महाराज का समाधिमरण सिद्धान्त तीर्थ शिकोहपुर के प्रणेता आचार्यश्री बाहुबलीसागर जी महाराज का दिनांक १० मई २०१० को सायं ५ बजे सल्लेखनापूर्वक समाधिमरण हो गया। आचार्यश्री पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। अंततोगत्वा उन्होंने शरीर त्याग का निश्चय किया और १० मई सायं ५ बजे चूलगिरि सिद्धक्षेत्र में अपनी नश्वर काया का त्याग किया। अनेक जैन आगमिक ग्रन्थों को प्रकाश में लाने के क्षेत्र में आपने जो आदर्श स्थापित किया, वह हम सभी के लिये सदैव प्रकाश स्तम्भ की भाँति कार्य करता रहेगा। ऐसे महामनस्वी के निधन पर विद्यापीठ परिवार उन्हें हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
SR No.525072
Book TitleSramana 2010 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh, Shreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2010
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size14 MB
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