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८६ : श्रमण, वर्ष ६०-६१, अंक ४, १ / अक्टू.-दिसम्बर ०९-जन.-मार्च-१०
जीवक ने विभिन्न प्रकार के जड़ी बूटियों से बनी औषधि को भगवान् बुद्ध को दवा के रूप में ३० बार लेने को कहा जिसके उपरान्त भगवान् बुद्ध बिल्कुल ठीक हो गये।२५
इस तरह से महावग्ग में उल्लिखित संदर्भ गौतम बुद्ध के समय के औषधियों की जानकारी तथा उपयोग विधि को प्रमाणित करते हैं। औषधियों के रूप में अधिकांशतः वनस्पतियों का ही उपयोग होता था किन्तु आवश्यकतानुसार मोम, वसा एवं रक्त का भी प्रयोग होता था। जीवक द्वारा किया गया मस्तिष्क की शल्य चिकित्सा क्लिष्ट शल्य चिकित्सा के विकसित होने का महत्त्वपूर्ण प्रमाण है। सन्दर्भ-सूची १. अथर्ववेद, ८/७/१०। २. अथर्ववेद, ८/७/४/ ३. अथर्ववेद, ८/७/३। ४. (अ) ऐतरेय ब्राह्मण, २/४, (ब) कौषितकि ब्राह्मण, १२/७। ५.अथर्ववेद, ६/१५/१॥ ६. महावग्ग पाली, ६/१ (भैषज्यस्कन्धक-पञ्च भैषज्य कथा) ७. वहीं, ६/२। (मूलादिभेसज्जकथा) ८. महावग्ग पाली, ६/२। (भेसज्जक्खन्धकं-मूलादि-भेसज्जकथा)
वही, ""। १०. वही, ""।
वही, "" १२. वही, ""। १३. महावग्ग पाली, ६/२, (भेसज्जक्खन्धकं-मूलादिभेसज्जकथा) १४. वही, "" १५. वही, ""। १६. वही, ""। १७. महावग्ग पाली, ६/२ (भेसज्जक्खन्धकं-मूलादिभेसज्जकथा) १८. वही, "" १९. वही, " "।