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________________ गाहा: साहु-धणेसर-विरइय-सुबोह-गाहा-समूह-रम्माए / रागग्गि-दोस-विसहर-पसमण-जल-मंत-भूयाए / / 249 / / संस्कृत छाया : साधुधनेश्वरविरचित-सुबोधगाथासमूहरम्याम् / रागाग्निद्वेष-विषधरप्रशमन-जलमन्त्रभूतायाम् / / 249 / / गुजराती अनुवाद : धनेश्वर मुनि वडे विरचित-सुबोध (सारी ीते समजाय तेवी) गाथाना समूहथी रम्य-रागरूपी असि तथा द्वेषरूपी सर्पने शांत करवा माटे जल अने मंत्र समान। हिन्दी अनुवाद : साधु धनेश्वरमुनि के द्वारा विरचित सुबोध गाथा के समूह से रम्य, राग जैसी आग और द्वेष तुल्य विषधर को शांत करने के लिए जल और मंत्र समान। गाहा : एसो एत्थ समप्पइ चिर-परिचिय-वन्नणोत्ति नामेण / सुरसुंदरि-कहाए अट्ठमओ वर-परिच्छेओ / / 250 / / संस्कृत छाया : एषोऽत्र समाप्यते चिरपरिचित वर्णन इति नामा / सुरसुन्दरी कथायामष्टमो वरपरिच्छेदः / / 250 / / गुजराती अनुवाद : 'चिरपरिचित वर्णन' नामनो सुरसुंदरि कथनो आ आठमो श्रेष्ठ परिच्छेद समाप्त थाय छे। हिन्दी अनुवाद : 'चिरपरिचित वर्णन' नामक सुरसुंदरि कथा का यह आठवाँ श्रेष्ठ परिच्छेद समाप्त होता है। अष्टमः परिच्छेदः समाप्तः।। छ।।२०००।। आठमो परिच्छेद समाप्त / 614
SR No.525071
Book TitleSramana 2010 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2010
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size20 MB
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