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गुजराती अनुवाद :___आ अनंगवती पण धर्म सांभलीने संसारनां थयथी उद्विग्न बनेली पोतानां पतिनी साथे आ ज गच्छमां दीक्षित थई। हिन्दी अनुवाद :
यह अनंगवती भी धर्म को सुनकर संसार के भय से उद्विग्न होकर अपने पति के साथ इसी गच्छ में दीक्षित हुई। गाहा :
ता सुयणु! न सुविणमिणं सच्चं चिय जं तुमे इमं दिटुं ।
एसो सो अम्ह गुरु सुधम्म-नामो महा-सत्तो ।। २१३।। संस्कृत छाया :
तस्मात् सुतनो! न स्वप्नमिदं, सत्यमेव यत् त्वयेमं दृष्टमं दृष्टम् ।
एष स आवयो गुरुः सुधर्मनामा महासत्त्वः ।। २१३।। गुजराती अनुवाद :
तेथी हे सुत! आ स्वप्न नथी, तारा वडे जे जोवायुं ते सत्य ज छ। अने ते आ महासात्त्विक सुधर्म नामे अमारा गुरु छ। हिन्दी अनुवाद :
अत: हे सुत! यह स्वप्न नहीं है, तेरे द्वारा जो देखा गया, वह सत्य ही है और वे महासात्त्विक सुधर्म नामक हमारे गुरु हैं। गाहा :
तत्तो दोवि जणाई सुधम्म-सूरिस्स परम-विणएणं ।
वंदंति हरिसियाइं पय-कमलं सयल-दोस-हरं ।। २१४।। संस्कृत छाया :
ततो द्वावपि जनौ सुधर्मसूरेः परमविनयेन ।
वन्देते हर्षितौ पदकमलं सकलदोषहरम् ।। २१४।। गुजराती अनुवाद :
त्यारपछी खुश थयेला ते बंबे स सुधर्मसूरिजीनां, समस्त दोषने हरनार स्वा चरण-कमलमां परम विनयपूर्वक वंदन कर्या।
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