SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 250
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ते ओलखे छे के नहीं- अथवा शुं तेणी पण गांडी थई छे? हिन्दी अनुवाद : अनंगवती बोली, 'चलो हम अपनी इस बहन को बुलाते हैं, हमें वह पहचानती है या नहीं- अथवा क्या वह भी पागल हो गई है। (पागल बहेन सुलोचनाने गुरुजी पासे लइ जq) गाहा : तत्तो गंतुं दोहिवि महुरं आभासियावि सा जाहे । नवि जाणइ किंचि फुडं बोल्लइ य बहु-असंबद्धं ।। १९७।। ताहे दोवि जणाई सुधम्म-सूरिस्स पाय-मूलम्मि । करुणा-पराहिं अज्जाहिं ताहि नीयाई सविसायं ।।१९८।। (युग्मम्) संस्कृत छाया : ततो गत्वा द्वाभ्यामपि मधुरमाभाषिताऽपि सा यदा । नापि जानाति किञ्चित् स्फुटं कथयति च बहु-असम्बद्धम् ।।१९७।। तदा द्वावपि जनौ सुधर्मसूरेः पादमूले। . करुणा पराभ्यामार्याभ्यां तदा नीतौ सविषादम् ।।१९८।। युग्मम्) गुजराती अनुवाद : त्यारबाद त्यां जइने ते चने चेनो वडे ते ज्यारे बोलावाई त्यारे ते जराय ओलखी न शकी अने जेम-तेम बहु बोलवा लागी। त्यारपछी कछणासवर बंने साध्वीओं द्वारा दुःखपूर्वक ते बंने ने श्री सुधर्मसूरिजीनां चरण-कमलमां लई जवाइ। हिन्दी अनुवाद : उसके बाद वहाँ जाकर उन दोनों बहनों के द्वारा वह जब बुलाई गई, तब वह जरा भी पहचान नहीं सकी और अनाप-शनाप बोलने लगी। उसके बाद करुणाभरी दोनों साध्वियों के द्वारा दुःखपूर्वक उन दोनों को श्री सुधर्मसूरिजी के चरणकमल में लाया गया। गाहा : भणिओ अज्जाहिं गुरू एसा अम्हाण जिठ्ठ-भगिणी ओ। किं होइ नवा भयवं! जाया उम्मत्तिया कह वा? ।।१९९।। 591
SR No.525071
Book TitleSramana 2010 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2010
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy