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(धनवाहन द्वारा फरी खुलासो) गाहा :
मह महिला पुण सरला पइ-व्यया सच्च-सील-दय-जुत्ता।
अणुरत्ता सुविणीया थिर-नेहा गुरु-जणे भत्ता ।।१५९।। संस्कृत छाया :
मम महिला पुनः सरला पतिव्रता सत्य शीलदयायुक्ता ।
अनुरक्ता सुविनीता स्थिर-स्नेहा गुरुजने भक्ता ।। १५९।। गुजराती अनुवाद :
वली मारी स्त्री तो सरल, पतिव्रता, सत्य-शील तथा दयायुक्त, मारामां अनुराग वाली, विनययुक्त, स्थिर स्नेहवाली तथा (वडीलो) गुरुजनोनी व्यक्ति करनारी छ। हिन्दी अनुवाद :
___ मेरी स्त्री तो सरल, पतिव्रता, सत्य-शील तथा दयायुक्त, मेरे में अनुराग वाली, विनययुक्त, स्थिर स्नेहवाली तथा गुरूजनों की भक्ति करनेवाली है। गाहा :__ सरिसा सा कह होज्जा असुद्ध-चारियाण अन्न-महिलाण? ।
लोह-तुरंगाईणं दीसइ-गुरु-अंतरं लोए ।।१६०।। संस्कृत छाया :
सदृशा सा कथं भवेदशुद्धचरितानामन्यमहिलानाम् ।
लोह-तुरङ्गादीनां दृश्यते गुर्वन्तरं लोके ।।१६० ।। गुजराती अनुवाद :
आवी भारी पत्नीनी अशुद्ध चरित्रवाली ज्य स्त्रीओनी साथे कइ रीते सरखामणी कराय? लोकमां पण लोढानो घोडो अने असल घोडो ते चे मां सोटु अंतर देखाय छ। हिन्दी अनुवाद :
ऐसी मेरी पत्नी की अशुद्ध चरित्रवाली अन्य स्त्रियों के साथ कैसे तुलना की जा सकती है? लोक में भी असली घोड़े में और लोहे के घोड़े में बड़ा अन्तर देखा जाता है।
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