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१३० : श्रमण, वर्ष ६०-६१, अंक ४, १ / अक्टू. - दिसम्बर ०९ - जन. - मार्च - १० प्रो० (डॉ०) सुदर्शन लाल जैन पार्श्वनाथ विद्यापीठ के निदेशक नियुक्त
प्रो० (डॉ०) सुदर्शन लाल जैन एम.ए., पी-एच. डी. (संस्कृत), आचार्य (जैन- दर्शन, प्राकृत एवं संस्कृत साहित्य), दिगम्बर जैन न्यायतीर्थ ने ११ मार्च २०१० को पार्श्वनाथ विद्यापीठ के निदेशक का पदभार ग्रहण कर लिया है। आप संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी, पालि, अंग्रेजी आदि भाषाओं के लब्धप्रतिष्ठ विद्वान् हैं। जैन जगत् में आपकी विशेष प्रतिष्ठा है। आप काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में अध्यक्ष पद को दो बार गौरवान्वित कर चुके हैं। आप काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कला संकाय के प्रमुख (डीन) भी रह चुके हैं। संकाय प्रमुख के रूप में कार्य करते हुए आप उर्दू, जर्मन, मराठी, म्यूजियोलॉजी (भारत कला भवन) आदि के भी अध्यक्ष पद पर आसीन रहे हैं। इसके अतिरिक्त भी आप अनेक भारतीय स्तर की संस्थाओं के सम्मानित पदों पर प्रतिष्ठित रह चुके हैं तथा वर्तमान में भी हैं।
ज्ञातव्य है कि सन् २००६ में विश्वविद्यालय से सेवा-निवृत्ति के पश्चात् बहुभाषाविज्ञ डॉ० जैन आज भी संस्कृत-विद्या धर्म-विज्ञान संकाय के जैन, बौद्ध दर्शन विभाग में अतिथि अध्यापक के रूप में अपनी सेवाएँ दे रहें हैं।
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चालीस से अधिक शोध छात्र आपके कुशल निर्देशन में शोध कार्य कर चुके हैं। 'उत्तराध्ययनसूत्र एक परिशीलन' आपका शोध-ग्रन्थ है जो पार्श्वनाथ विद्यापीठ से ही प्रकाशित है तथा जिसका गुजराती भाषा में अनुवाद भी पार्श्वनाथ विद्यापीठ से प्रकाशित हो चुका है। संस्कृत- प्रवेशिका, प्राकृत-दीपिका, देव शास्त्र व गुरु, तर्क - संग्रह (हिन्दी अनुवाद, संस्कृतच्छाया, व्याख्या), कर्पूरमञ्जरी (हिन्दी अनुवाद, संस्कृतच्छाया, व्याख्या), मुनिसुव्रत काव्य (हिन्दी अनुवाद) आदि आपके द्वारा लिखित ग्रन्थों का साहित्य के क्षेत्र में अपना विशिष्ट स्थान है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आपकी रचनाओं को सम्मानित भी किया गया है। समाज द्वारा आपका कई बार सम्मान किया जा चुका है। आप विदेश यात्रा भी कर चुके हैं तथा अमेरिका के सेन फ्रांसिस्को में स्थित मीलपिटास शहर में आप दो बार अपना व्याख्यान भी दे चुके हैं। आपके द्वारा लिखित करीब सत्तर से अधिक लेख देशविदेश के प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं।