SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 80
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रमण, वर्ष ५९, अंक ३ जुलाई-सितम्बर २००८ मिथिला और जैन धर्म डॉ० अशोक कुमार सिन्हा * शतपथब्राह्मण' विदेध - माथव व उनके पुरोहित गौतम राहुगण के सरस्वती नदी तट से पूर्व की ओर बढ़ते हुए सदानीरा नदी के तट पर पहुँचने तथा इस नदी के पूर्व में अपना राज्य स्थापित करने का विवरण देता है, जो कालान्तर में विदेह (मिथिला) राज्य के रूप में विख्यात हुआ । इसकी राजधानी जनकपुर थी। शतपथब्राह्मण' सदानीरा नदी को कोसल और विदेह की सीमा पर प्रवाहित होने वाली नदी बताया गया है। विदेह राज्य की स्थापना सदानीरा (गण्डक नदी) के पूर्व में हुई, ऐसा माना जाता है। परन्तु इसकी सीमा का उल्लेख स्पष्ट नहीं है। कुछ विद्वानों का मानना है कि वर्तमान बूढ़ी गण्डक ही पूर्व की सदानीरा नदी है, जो अपना मार्ग परिवर्तन कर वर्तमान में हिमालय पर्वत से निकल कर हाजीपुर के पास गंगा से संगम करती है। योगेन्द्र मिश्र ने विदेह राज्य की सीमा को निर्धारित करने का प्रयास किया है। उनके अनुसार विदेह के पश्चिम में सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर और वैशाली जिला, पूर्व में कोशी, दक्षिण में गंगा नदी तथा उत्तर में हिमालय पर्वत शृंखला फैली थी । उन्होंने इन क्षेत्रों के अतिरिक्त उत्तरी बिहार के कुछ और क्षेत्रों को भी सम्मिलित किया है, जैसे पूर्वीपश्चिमी चम्पारण, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार तथा भागलपुर जिला का उत्तरी भाग । Jain Education International विदेह राज्य को कई अन्य नामों से भी सम्बोधित किया गया है, जैसेमिथिला, तैरमुक्ति, वैदेही, नैमिकानन, ज्ञानशील, कृपापीठ, स्वर्णलाङ्गपद्धत्ति, जानकी जन्मभूमि, निरपेक्षा, विकल्मषा, रामानन्द कुटी विश्वभाविनी, नित्यमंगला | शतपथब्राह्मण के आधार पर विदेह राज्य की स्थापना का काल निर्धारित किया जा सकता है। अभी तक कुछ विद्वान् विदेह राज्य की स्थापना का समय ईसा पूर्व ९वीं - ८वीं शताब्दी मानते हैं। लेकिन यदि हम शतपथब्राह्मण का काल ३००० ईसा पूर्व से २५०० ईसा पूर्व का मानते हैं जैसा कि ज्योतिषशास्त्र के आधार पर कृतिका नक्षत्र की व्याख्या करते हुए गोरख प्रसाद दीक्षित आदि विद्वानों ने इसके * प्रवक्ता (प्राचीन इतिहास), राजकिशोर सिंह महाविद्यालय, बरूईन, जमानियां, गाजीपुर (उ०प्र) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525065
Book TitleSramana 2008 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2008
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy